India News (इंडिया न्यूज), Life on Mars: क्या मंगल ग्रह पर जीवन की खोज करना घास के ढेर में सुई खोजने जैसा है? शायद हाँ! लेकिन वैज्ञानिक इतने मुश्किल काम के लिए क्या कर रहे हैं? हाँ, चाहे वो धरती की शक्तिशाली दूरबीनें हों या मंगल ग्रह पर अब तक भेजे गए कुछ रोवर, सभी यही संकेत दे रहे हैं। मंगल की सतह पर अभी जीवन का कोई रूप नहीं है। लेकिन अब वैज्ञानिकों की दिलचस्पी सतह के नीचे मौजूद जल भंडारों में है। उनका मानना है कि वहाँ प्राचीन जीवन के संकेत मिल सकते हैं। इसके लिए अब उन्हें नई लेजर तकनीक की मदद मिलेगी और उन्हें कोने-कोने में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
मंगल पर जीवन की संभावना
मंगल की सतह बहुत ठंडी है और ध्रुवों पर मौजूद पानी भी बहुत ठंडी बर्फ़ के रूप में हो सकता है। लेकिन वे सतह के नीचे मौजूद पानी में सूक्ष्म जीवों के जीवाश्म खोज सकते हैं। ऐसी जगहों की खोज के लिए वे एक खास लेजर डिवाइस का इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं जो इन जीवाश्मों पर जमे जिप्सम की जांच करेगी।
लेजर से उम्मीदें क्यों?
वैज्ञानिकों को इस डिवाइस से उम्मीदें इसलिए हैं क्योंकि इसके प्रयोग पहले भी धरती पर सफल रहे हैं। इसमें उन्होंने अल्जीरिया में जमे हुए जिप्सम का पता लगाया है। फ्रंटियर्स इन एस्ट्रोनॉमी एंड स्पेस साइंसेज में प्रकाशित शोध के लेखक युसेफ सलाम का कहना है कि भविष्य में मंगल ग्रह पर जीवन के निशान खोजने के मिशन में सल्फेट खनिज बहुत उपयोगी साबित होंगे। और यह तकनीक बहुत कारगर भी साबित हुई है। मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें पहले ही सामने आ चुकी हैं।
इस तकनीक से उम्मीद क्यों है?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने पहले ही मंगल ग्रह की सतह और गेल क्रेटर में स्पष्ट रूप से पाया है कि वहां कभी नदियां और झीलें हुआ करती थीं। मंगल ग्रह का जेजेरो क्रेटर, जिस पर नासा का नवीनतम रोवर पर्सिवियरेंस वर्तमान में है, वह भी कभी झील हुआ करता था। वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल के वायुमंडल में मीथेन वहां सूक्ष्म जीवों के अस्तित्व का संकेत हो सकता है। इसके अलावा उन्होंने मंगल ग्रह पर जीवन के कुछ आवश्यक तत्वों की भी खोज की है।
हालांकि मंगल ग्रह अरबों साल पहले सूख गया था, लेकिन मंगल की सतह पर जिप्सम प्रचुर मात्रा में पाया गया है। यह पदार्थ जीवों के जीवाश्म बनाने में बहुत उपयोगी है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो वैज्ञानिक वहां से मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाने से पहले ही मंगल ग्रह पर सूक्ष्मजीवों के अस्तित्व की पुष्टि कर सकेंगे।