India News (इंडिया न्यूज), Death In Police Custody: देश में पुलिस हिरासत में कैदियों की मौत की खबरें अक्सर आती रहती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के किस राज्य में पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं? आज हम आपको आंकड़े बताएंगे जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। किसी भी राज्य की पुलिस के लिए कैदी को हिरासत में रखना और उससे पूछताछ करना एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दौरान कई कैदियों की मौत भी हो जाती है। आइए जानते हैं कि पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें किस राज्य में होती हैं।

किस राज्य में अत्याचार से हुईं सबसे ज्यादा मौतें?

देश में पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें उत्तर प्रदेश में होती हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है, जहां मौतें होती हैं. केंद्र सरकार के आंकड़ों की मानें तो 2020-21 में उत्तर प्रदेश में हिरासत में 451 आरोपियों की मौत हुई. वहीं, साल 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 501 हो गया.

दूसरे नंबर पर कौन सा राज्य?

इसके बाद पश्चिम बंगाल का नाम शामिल है। पुलिस हिरासत के दौरान सबसे ज्यादा मौतें भी पश्चिम बंगाल में ही हुई हैं। वर्ष 2020-21 की बात करें तो वहां 185 आरोपियों की मौत हुई, जबकि वर्ष 2021-22 के दौरान 257 मौतें हुईं। भारत के सभी राज्यों की बात करें तो 2020-21 में 1940 मौतें हुईं, जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 2544 हो गया।

हिरासत के नियम

पुलिस हिरासत के नियमों की बात करें तो ये नियम संविधान और दंड संहिता प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किए गए हैं। नियम कहता है कि गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर उस व्यक्ति को नजदीकी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना किसी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। वहीं अगर मामला गंभीर है तो ऐसे मामले में पुलिस पूछताछ के लिए 15 दिन की रिमांड दे सकती है। हालांकि बाद में इसे बढ़ाया भी जा सकता है। हिरासत के दौरान उस आरोपी को उचित सुविधाएं और सुरक्षा दी जानी चाहिए।

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शिकायत दर्ज कराने का अधिकार

इसके अलावा, 48 घंटे के भीतर उसकी मेडिकल जांच भी होनी चाहिए। अगर हिरासत के दौरान आरोपी को प्रताड़ित किया जा रहा है, तो उसे शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है। हिरासत या गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को उसके अधिकारों के बारे में बताया जाना चाहिए। आरोपी को अपने वकील से बात करने का अधिकार है और किसी भी पूछताछ से पहले वकील से सलाह लेने का भी अधिकार है।

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