India News (इंडिया न्यूज़), Vinod Khanna Death Anniversary, दिल्ली: 70 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री को विनोद खन्ना के रूप में एक टॉल, डार्क और हैंडसम एक्टर मिला था। विनोद खन्ना अपने जमाने के उन अभिनेताओं में से एक थे। उनके गुड लुक्स के कई दीवाने थे, यहां तक कि कहा जाता है कि उनकी इंडस्ट्री में आने के बाद से ही कई हीरो को उनके काम का डर सताने लगा था। दिवंगत एक्टर विनोद खन्ना की उस समय कई फिल्में आई, जिन्होंने सबके होश उड़ा दिया। कुर्बानी से लेकर अमर अकबर एंथनी तक 70 से 80 के दशक में उन्होंने राज किया है। उनकी फिल्मों की कहानी आज भी लोग पसंद करते हैं। वही 27 अप्रैल 2017 में विनोद खन्ना ने कैंसर से लड़ते हुए अपनी जानगवा दी आज उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर हम आपको विनोद खन्ना की फिल्मों के मशहूर डायलॉग के वारें में बताएगें जो सभी के लबों में रहते हैं।
मुकद्दर का सिकंदर
इज्जत वो दौलत है जो एक बार चली गई तो फिर कभी हासिल नहीं की जा सकती।
मेरा गाँव मेरा देश
जब्बार सिंह ने सिर्फ दो ही बातें सीखी हैं। एक मौके का उठाना और अपने दुश्मनों का नाम और निशान मिटाना।
चांदनी
दर्द का दावा ना हो तो दर्द को ही दावा समझ लेना चाहिए।
प्लेयर
रिटायर सिर्फ पुलिस वाले होते हैं, चोर नहीं।
मुकद्दर का सिकंदर
प्यार में वो गहरी है कि जिसके सामने समुंदर भी कतरा मालुम होता है।
रिस्क
टाइम का ना बड़ा गेम है, इसके साथ कभी नहीं खेलनेका।
मुकद्दर का सिकंदर
तलवार की लड़ाई तलवार से, प्यार की लड़ाई प्यार से, और बेकार की लड़ाई सरकार से।
सूर्या
गरीब का दिल अगर सोने का होता है तो हाथ फौलाद के होते हैं।
क्षत्रिय
दोस्ती भूली जा सकती है लेकिन दुश्मनी नहीं।
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