India News (इंडिया न्यूज), Holy Kaaba History: इस्लाम में कुल पाँच स्तंभ बताए गए हैं, जिनमें पाँचवाँ स्तंभ हज है। इस्लाम में आस्था रखने वाले सभी स्वस्थ और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों से कम से कम एक बार हज यात्रा पर जाने की अपेक्षा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि हज करने के बाद सभी पिछले पाप क्षमा हो जाते हैं और हज यात्री फिर से अपना जीवन शुरू कर सकता है। यही वजह है कि हर साल दुनिया भर से लाखों मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब के मक्का शहर जाते हैं।
आपने मक्का में हज यात्रियों को एक आकृति की परिक्रमा करते हुए देखा होगा। इस स्थान को काबा कहते हैं, जिसे इस्लाम में सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मक्का में मुसलमान जिस काबा की परिक्रमा करते हैं, उसके अंदर क्या है? और इसके अंदर किसे जाने की अनुमति है? चलिए जानते हैं।
काबा की सात बार परिक्रमा?
हज यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव काबा है। हज यात्रा पर आए मुसलमान मक्का पहुंचकर मस्जिद अल हरम में आते हैं और काबा की सात बार परिक्रमा करके प्रार्थना करते हैं, इस प्रक्रिया को तवाफ़ कहते हैं. तवाफ़ के दौरान काबा के पूर्वी कोने पर रखे काले पत्थर को छूने और चूमने का भी रिवाज़ है. मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने अल्लाह के आदेश पर मक्का में काबा बनवाया था. बसरों के बाद अल्लाह ने पैगंबर मुहम्मद से कहा कि ऐसी व्यवस्था करें कि काबा में सिर्फ़ अल्लाह की इबादत हो.
काबा के अंदर क्या है?
जानकारी के मुताबिक, काबा का अंदरूनी हिस्सा करीब 180 वर्ग मीटर है. छत को सहारा देने के लिए इसके अंदर तीन लकड़ी के खंभे हैं. फर्श पर सफ़ेद संगमरमर बिछा हुआ है और काबा के अंदर सोने और चांदी के दीये भी लगे हुए हैं. आसान भाषा में कहें तो यह एक खाली कमरा है. काबा के अंदर उस जगह को भी चिन्हित किया गया है, जहां पैगंबर मुहम्मद ने प्रार्थना की थी.
कौन करता है काबा की देखभाल?
काबा एक तरह का बंद कमरा है, जो साल में कुछ ही बार खुलता है और यहां सिर्फ़ कुछ खास लोगों को ही जाने की अनुमति होती है. जानकारी के अनुसार, काबा में प्रवेश करने के लिए केवल एक ही दरवाजा है, जिसे बाब-ए-काबा कहा जाता है। इस दरवाजे की चाबी डॉ. सालेह बिन जैनुल आबेदीन अल शेबी के पास थी। पिछले साल उनका निधन हो गया। कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद के समय से ही इस चाबी को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी शेबी परिवार के पास है। डॉ. सालेह अब शेबी परिवार के 109वें वारिस थे। 2013 में अपने चाचा अब्दुल कातिर ताहा अल शेबी की मौत के बाद डॉ. सालेह को चाबी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
काबा के अंदर कौन जा सकता है?
मुसलमानों के सबसे पवित्र स्थान काबा में प्रवेश बहुत सीमित है। आमतौर पर कुछ खास लोग ही इसमें प्रवेश करते हैं। इसमें इस्लामी नेता और गणमान्य लोग शामिल हैं। इसके अलावा धार्मिक विद्वान और मौलवी भी इसमें प्रवेश पा सकते हैं। सऊदी सरकार के खास मेहमानों को भी खास मौकों पर काबा में प्रवेश की अनुमति होती है।