India News (इंडिया न्यूज), Iddat Period: इस्लाम धर्म में मुस्लिम महिलाओं के लिए दूसरा निकाह करना बड़ा ही जटिल काम होता है। दरअसल कुछ नियम ऐसे होते हैं जिनके पूरे हुए बिना मुस्लिम महिला दूसरा निकाह नहीं कर सकती। इसमें सबसे प्रचलित शब्द है इद्दत। इद्दत को इस्लाम में एक अवधि माना जाता है, जिसका पालन महिला को अपने पति की मृत्यु या तलाक के बाद करना होता है। वैसे तो इद्दत का समय परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है, लेकिन आमतौर पर तलाक के मामले में इसका समय तीन महीने और पति की मृत्यु के बाद चार महीने दस दिन का होता है। आइए जानते हैं कि मुस्लिम महिलाएं इस अवधि में दूसरा निकाह क्यों नहीं कर सकती हैं।
इस अवधि में मुस्लिम महिलाएं नहीं कर सकतीं शादी
इद्दत एक प्रतीक्षा अवधि है, जिसका पालन महिला को अपने पति की मृत्यु के बाद करना होता है। इन दिनों में महिला तय समय तक शादी नहीं कर सकती है। इसका समय करीब चार महीने लंबा होता है। तलाक के बाद इंतजार की इस अवधि का पालन करना जरूरी होता है। वैसे तो इस अवधि को कुरु कहते हैं, लेकिन आम बोलचाल में इसे इद्दत भी कहते हैं।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिला गर्भवती न हो। अगर कोई महिला इद्दत का समय पूरा किए बिना शादी कर लेती है और बाद में गर्भधारण का पता चलता है, तो बच्चे की वैधता संदिग्ध होती है। इस संदेह को दूर करने के लिए इद्दत की अवधि होती है, ताकि अगर गर्भधारण हो तो उसका पता चल सके। इसमें अगर महिला गर्भवती है तो वह बच्चे के जन्म तक दोबारा शादी नहीं कर सकती।
अगर इस दौरान शादी कर लेती है तो क्या होगा?
इसका उद्देश्य महिला को नए रिश्ते के लिए पूरी तरह से तैयार करना भी है। इस दौरान अगर महिला दोबारा शादी करती है तो शरीयत के मुताबिक वह रिश्ता गैर इस्लामी माना जाएगा। इस इंतजार के दौरान महिला को अपने पति के घर पर ही रहना होता है।
इस दौरान महिला को सादा जीवन जीना होता है, सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी के दौरान ही वह घर से सिर्फ उसी व्यक्ति के साथ बाहर जा सकती है, जिससे इस्लामी कानून के मुताबिक वह शादी नहीं कर सकती। इस दौरान महिला सज-धज कर नहीं रह सकती और न ही चमकीले रेशमी कपड़े पहन सकती है। इद्दत की यह अवधि सिर्फ महिलाओं पर लागू होती है।