India News (इंडिया न्यूज), Ismaili Muslims: इस्माइली मुसलमानों के नए इमाम रहीम अल-हुसैनी को बुधवार को आगा खान का पद दिया गया। अब रहीम अल-हुसैनी पूरी दुनिया में रहने वाले इस्माइली मुसलमानों के इमाम हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्माइली मुसलमान कौन हैं? तो आखिर  इस्माइली मुसलमान कौन हैं और वे मुख्यधारा के मुसलमानों से कितने अलग हैं।

इस्माइली मुसलमानों की चर्चा क्यों हो रही है?

अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि अचानक कुछ दिनों से इस्माइली मुसलमानों की चर्चा क्यों हो रही है। दरअसल, 4 फरवरी 2025 को इस्माइली मुसलमानों के आगा खान मौलाना शाह करीम अल हुसैनी का निधन हो गया था। मौलाना शाह करीम अल हुसैनी इस्माइली मुसलमानों के 49वें इमाम थे। मौलाना शाह करीम के इस दुनिया से चले जाने के बाद अब उनके बेटे को आगा खान की जिम्मेदारी दी गई है।

इस्माइली मुसलमान कौन हैं?

अब सवाल यह है कि इस्माइली मुसलमान कौन हैं और क्या वे मुख्यधारा के मुसलमानों से अलग हैं। आपको बता दें कि इस्माइली संप्रदाय मुसलमानों का एक समूह है, इस्माइली मुसलमान शिया हैं। इसे मानने वाले लोग मुहम्मद साहब को अपना पैगंबर मानते हैं। इस समुदाय के लोग अली इब्न अबी तालिब को पहला इमाम मानते हैं, इस संप्रदाय में इमाम इस्माइली समुदाय का मुखिया होता है। वहीं, आगा खान को पैगंबर मुहम्मद का सीधा वंशज माना जाता है।

इन देशों में रहते हैं इस्माइली मुसलमान

आपको बता दें कि इस्माइली मुसलमान पूर्वी अफ्रीका, मध्य एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक वे ईरान, सीरिया और दक्षिण एशिया में रहते थे। इसके अलावा, इस्माइली मुसलमान यह भी मानते हैं कि लोगों की मदद के लिए अपनी कमाई का 12.5 प्रतिशत हिस्सा आगा खान को देना उनका कर्तव्य है। जानकारी के मुताबिक, दुनिया भर में इस्माइली मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या करीब 1.2 करोड़ है।

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क्या आप नमाज नहीं पढ़ते?

इस्माइली मुसलमानों का तरीका दूसरे मुसलमानों से काफी अलग है। आपको बता दें कि इस्माइली संप्रदाय को मानने वाले मुसलमान रोजा नहीं रखते हैं। इस्माइली संप्रदाय को मानने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग मुसलमानों के दूसरे संप्रदायों से काफी अलग सोच रखते हैं। इस संप्रदाय को मानने वाले लोग दिन में पांच बार नमाज नहीं पढ़ते हैं और रमजान के दौरान रोजा भी नहीं रखते हैं। इतना ही नहीं ये लोग धार्मिक यात्रा (हज) पर भी नहीं जाते हैं। इस संप्रदाय के लोग आमतौर पर राजनीतिक विवादों से दूर रहते हैं।

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