India News (इंडिया न्यूज), Temples Roof: अगर आप किसी मंदिर में गए होंगे तो आपने देखा होगा कि धार्मिक स्थलों की छतें गुंबदनुमा होती हैं। कई लोग इसे धर्म से जोड़ते हैं, जो एक तरह से सही भी है। हालांकि, इसके साथ विज्ञान भी जुड़ा हुआ है। क्या आपने कभी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस बारे में सोचा है? मंदिरों या मस्जिदों की छतें गुंबदनुमा क्यों बनाई जाती थीं? दरअसल, इसके पीछे तीन कारण हैं- धर्म, विज्ञान और वास्तुशास्त्र।

मंदिर में मिलती है मन की शांति

जब भी हम सभी मंदिर जाते हैं तो मन को एक शांति मिलती है और हमें वहां बैठने का मन करता है। मंदिर के अंदर चाहे कितनी भी घंटियां बजती हों या शोर हो, लेकिन इस शोर में भी एक शांति होती है। इसके पीछे विज्ञान है। दरअसल, जब भी मंदिर में घंटी बजती है या मंत्रोच्चार होता है तो गुंबदनुमा छत की वजह से ध्वनि टकराकर मंदिर के चारों ओर फैलती है, जिससे एक तरह का कंपन पैदा होता है, जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति का एहसास होता है। एक तरह से गुंबदनुमा छतों का इस्तेमाल भक्तों को ध्यान और पूजा से जोड़ने के लिए किया गया था। इस विज्ञान का इस्तेमाल सकारात्मक ऊर्जा के लिए किया जाता है। मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। छत पर बनी गुंबदनुमा आकृति इसे चारों ओर फैलाने का काम करती है।

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तापमान को सामान्य रखता है

जब भी आप किसी मंदिर या मस्जिद में जाते हैं, तो आपको वहां का तापमान संतुलित लगता है। बाहर का तापमान चाहे कितना भी गर्म या ठंडा क्यों न हो, लेकिन मंदिर में प्रवेश करते ही तापमान सामान्य हो जाता है। इस गुंबदनुमा छत के पीछे भी विज्ञान है। दरअसल, गुंबदनुमा छत मंदिर के अंदर हवा के प्रवाह को नियंत्रित करती है, जिससे अंदर का तापमान संतुलित रहता है। यही वजह है कि गर्मी के दिनों में मंदिर ठंडा रहता है, जबकि ठंड होने पर मंदिर के अंदर का तापमान सामान्य हो जाता है।

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