India News (इंडिया न्यूज), Kerala High Court News: हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने एक अनोखा और संवेदनशील मामला सुना, जिसमें 91 वर्षीय बुजुर्ग थेवन को अपनी 88 वर्षीय पत्नी कुंजली पर चाकू से हमला करने के आरोप में जमानत दी गई। यह मामला न केवल एक कानूनी विवाद था, बल्कि मानव जीवन, प्रेम, और उम्र के साथ बदलते रिश्तों का गहरा उदाहरण भी पेश करता है।

आखिर हुआ क्या?

थेवन और कुंजली, जो कई वर्षों से एक साथ रह रहे थे, के बीच उस समय तनाव उत्पन्न हुआ जब कुंजली ने अपने पति पर किसी और महिला के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगाया। इन आरोपों से आहत थेवन ने गुस्से में आकर अपनी पत्नी पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे कुंजली गंभीर रूप से घायल हो गईं। घटना के बाद पुलिस ने थेवन को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में रखा।

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कोर्ट का संवेदनशील पॉइंट

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हिकृष्णन ने इस मामले में थेवन द्वारा दायर जमानत याचिका पर विचार करते हुए एक संवेदनशील और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया। कोर्ट ने कहा कि थेवन और कुंजली को अपनी शेष उम्र एक साथ खुशी और शांति के साथ बिताने का मौका दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने दोनों के बीच के प्रेम का जिक्र करते हुए कहा, “जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, एक-दूसरे के लिए हमारा प्यार और गहरा होता जाता है।”

उम्र के साथ प्रेम की रोशनी

कोर्ट ने अपने आदेश में इस बात को रेखांकित किया कि उम्र का बढ़ना प्रेम को कम नहीं करता, बल्कि इसे और उज्ज्वल बनाता है। कुंजली का अपने पति पर आरोप लगाना इस बात का संकेत है कि वह अभी भी उनसे प्रेम करती हैं और उनके प्रति संवेदनशील हैं। कोर्ट ने कहा, “थेवन को यह समझना चाहिए कि बुढ़ापे में उनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी पत्नी कुंजली ही हैं।”

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जब कोर्ट ‘कोर्ट’ से ज्यादा बन गया ‘फ़िल्मी मंच’

इस संवेदनशील आदेश को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए कोर्ट ने दिवंगत मलयालम कवि एन एन कक्कड़ की कविता ‘सफलमी यात्रा’ का उल्लेख किया। कविता में ढलती उम्र, प्यार, और शांत संगति का वर्णन किया गया है। कोर्ट ने कहा कि सफल विवाह का मतलब ‘परफेक्ट कपल’ होना नहीं है, बल्कि यह तब सफल होता है जब ‘इम्परफेक्ट कपल’ अपनी भिन्नताओं का आनंद लेना सीखते हैं।

केरल हाई कोर्ट का यह निर्णय केवल कानून के दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन और रिश्तों के गहरे पहलुओं को समझने की सीख भी देता है। यह मामला यह भी दिखाता है कि उम्र और परिस्थितियों के बावजूद, प्रेम और सहानुभूति के लिए हमेशा जगह होती है।

91 वर्षीय थेवन और 88 वर्षीय कुंजली की कहानी यह बताती है कि जीवन के हर चरण में रिश्तों को संजोना और एक-दूसरे की भावनाओं को समझना कितना महत्वपूर्ण है। केरल हाई कोर्ट का यह निर्णय न केवल कानूनी, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी प्रेरणादायक है। यह हमें सिखाता है कि उम्र के साथ प्रेम फीका नहीं पड़ता, बल्कि और अधिक गहरा और उज्ज्वल हो जाता है।

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