India News UPइंडिया न्यूज),Allahabad High Court News: यूपी के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन शोषण मामले पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाए जा रहे लंबे वक्त से शारीरिक संबंध को रेप बिलकुल नहीं कहा जा सकता। हाईकोर्ट ने शादी के झूठे वादे पर कई सालों तक सहमति से बनाए जा रहे शारीरिक संबंधों को रेप मानने से मना कर दिया।
क्रिमिनल प्रोसीडिंग को रद्द कर आरोपी को दी राहत
इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी मुरादाबाद के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को रद्द कर उसे अहम राहत दी। एकल न्यायाधीश अनीश कुमार गुप्ता ने आरोपी श्रेय गुप्ता की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। कोर्ट के मुताबिक, बारह से तेरह साल तक सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को केवल इसलिए बलात्कार नहीं माना जाएगा क्योंकि शादी का वादा टूट गया था।
क्या है पूरा मामला
2017 में, मुरादाबाद की एक महिला ने महिला थाने पहुंचकर अनीश गुप्ता नाम के व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार और जबरदस्ती की शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपी ने इस आरोप के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की, इस मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने निम्नलिखित निर्णय सुनाया। अदालत ने पाया कि हालांकि महिला शादीशुदा थी और उसके बच्चे भी थे, लेकिन अपने पति की मौत से पहले उसका प्रतिवादी के साथ रिश्ता था।
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शादी से इनकार करना रेप नहीं माना जा सकता- कोर्ट
महिला का आरोप है कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार था और ऐसे में आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और उसके पति की मौत के बाद उससे शादी करने का वादा किया। उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद दोनों ने अपना रिश्ता जारी रखा, लेकिन फिर 2017 में एक अन्य महिला से सगाई कर ली।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि हालांकि सहमति से बना रिश्ता 12 साल तक चला, लेकिन महज शादी से इनकार करना रेप नहीं माना जा सकता।
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