India News(इंडिया न्यूज), Asaduddin Owaisi on CM Yogi : एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी द्वारा विधानसभा में उर्दू भाषा पर हालिया टिप्पणी पर कहा, “यह स्पष्ट है कि यूपी के सीएम उर्दू नहीं जानते हैं। लेकिन वह वैज्ञानिक क्यों नहीं बने, इसका जवाब केवल वही दे सकते हैं। वे जिस विचारधारा से आते हैं, उस विचारधारा से किसी ने इस देश के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया। वह गोरखपुर से आते हैं। रघुपति सहाय ‘फिराक’ भी उसी गोरखपुर से आते हैं। वह एक प्रसिद्ध उर्दू कवि थे, लेकिन वह मुसलमान नहीं थे। यह टिप्पणी उनकी बौद्धिक क्षमता है।”
पेपर लीक पर कुमारी सैलजा का बयान, कहा – सरकार सत्ता के नशे में मस्त, बच्चों के भविष्य की नहीं परवाह, कोई भी परीक्षा बिना धांधली के पूरी नहीं हुई
योगी आदित्यनाथ ने क्या बयान दिया?
18 फरवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा में सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि “ये लोग दूसरों के बच्चों को उर्दू पढ़ाकर मौलवी बनाना चाहते हैं, देश को कट्टरपंथ की ओर ले जाना चाहते हैं, इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
सीएम योगी ने सपा पर साधा था निशाना
यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल का विरोध किया था, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा था, “इस विधानसभा में अंग्रेजी का इस्तेमाल जायज नहीं है। अंग्रेजी को बढ़ावा देकर हिंदी को कमजोर किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया था, “अगर आप विधानसभा में अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उर्दू का भी इस्तेमाल करें।” सपा नेता के बयान पर सीएम योगी ने तंज कसते हुए कहा था- “समाजवादियों का दोहरा मापदंड है। वे अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में भेजेंगे और यहां अंग्रेजी का विरोध करेंगे। इस तरह के विरोध की निंदा की जानी चाहिए।”
एक बार फिर से देश में भाषा की लड़ाई शुरू
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कुछ दिन पहले हिंदी भाषा को लेकर विवादित पोस्ट किया था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था- “अन्य राज्यों के मेरे प्यारे बहनों और भाइयों, क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदी ने कितनी भारतीय भाषाओं को निगल लिया है? भोजपुरी, मैथिली, अवधी, ब्रज, बुंदेली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, मगही, मारवाड़ी, मालवी, छत्तीसगढ़ी, संथाली, अंगिका, हो, खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मुंडारी और कई अन्य अब अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं। एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन मातृभाषाओं को खत्म कर रही है।”