India News (इंडिया न्यूज), Ayodhya Ram Mandir: अगर आप इन दिनों अयोध्या जाने का प्लान बना रहे हैं तो यह खबर आपके लिए खास होने वाली है। रामलला के दर्शन करने से पहले इस खबर को एक बार जरूर पढ़ लें। क्योंकि, अब से रामलला के दर्शन की और अनुष्ठान के कार्यक्रम में बदलाव किया गया है, जिसके तहत अब मंदिर 7 बजे की जगह सुबह 6 बजे खुलेगा। यह जानकारी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दी गई है।

जानकारी के मुताबिक, मंदिर अब सुबह 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुला रहेगा। सुबह 4 बजे मंगला आरती शुरू हो जाएगी, जिसके बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। इसके बाद सुबह 6 बजे से रामलला की श्रृंगार आरती होगी और उसी समय मंदिर आम जनता के खोला जाएगा।

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12 बजे से लगेगा राजभोग

ट्रस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, दोपहर 12 बजे से राजभोग लगाने का कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा और भोग लगाने के बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। मंदिर में शाम 7 बजे से संध्या आरती शुरू की जाएगी। इस दौरान 15 मिनट के लिए मंदिर के कपाट बंद रहेंगे और फिर खोल दिए जाएंगे। रात 10 बजे शयन आरती होगी, जिसके बाद मंदिर के कपाट बंद रहेंगे। पहले शयन आरती रात साढ़े नौ बजे होती थी। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के कारण राम मंदिर ट्रस्ट ने यह फैसला लिया है, ताकि लोग रामलला के दर्शन आसानी से कर सकें।

ट्रस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक, शाम को करीब आधा घंटा और सुबह डेढ़ घंटा दर्शन और अनुष्ठान के लिए जोड़कर कार्यक्रम को समायोजित किया गया है। प्रसाद के समय भी श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। बैठक में केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में धार्मिक पर्यटन में ‘काफी वृद्धि’ हुई है और जिले में आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 2020 में 60 लाख से बढ़कर 2024 में 16 करोड़ से अधिक हो गई है।

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केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में धार्मिक पर्यटन में काफी वृद्धि हुई है। अयोध्या के पर्यटन आंकड़ों के अनुसार जिले में आने वाले पर्यटकों की कुल संख्या 2020 में 60,22,618 से बढ़कर 2024 में 16,44,19,522 हो गई है। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार ने देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए कोई कदम उठाया है। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पिछले साल 22 जनवरी को हुआ था, जब क्षेत्र में मंदिर का आंशिक रूप से निर्माण किया गया था।