India News (इंडिया न्यूज़),Bagpat School Girl Heart Attack: उत्तर प्रदेश के बागपत से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि, एक हस्ते खलते परिवार की खुशी उस वक्त मातम में बदल गई जब उसके बच्चे की मरने की खबर स्कूल से आई। जैसे ही परिवार वालों को इसके बारे में पता चला उनके पैरों तले मानों जमीन ही खिसक गई। चलिए जानते हैं आखिर ये पूरा मामला है क्या?
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में खेलते समय 7 साल की बच्ची की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वो कक्षा 1 में पढ़ती थी। बच्ची की मौत के बाद परिजनों में मातम छा गया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बच्ची सुबह स्कूल में खेल रही थी। तभी अचानक सीने में दर्द उठने लगा और वो नीचे गिर गई। वैसे तो बच्चों में हार्ट अटैक बहुत कम होता है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में ऐसा हो सकता है। बच्चों को इन कारणों से हार्ट अटैक आ सकता है।
बच्चों में कब हार्ट अटैक के मामले देखने को मिल सकते हैं?
संरचनात्मक असामान्यताएं या मार्फन सिंड्रोम छाती में चोट लगने से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है हृदय की इलेक्ट्रिकल प्रणाली में असामान्यताएं, जैसे वोल्फ-पार्किंसन-व्हाइट सिंड्रोम या लॉन्ग क्यूटी सिंड्रोम हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी। मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशियों का संक्रमण है। ड्रग्स के उपयोग से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है।
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बच्चों को हार्ट अटैक से बचाने के लिए क्या करें
डॉक्टरों का कहना है कि अगर घर में किसी को हार्ट अटैक की समस्या है, तो ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। लापरवाही से बचें, कम उम्र में इसे लेकर लापरवाही दिखाई जाती है, लेकिन बाद में यह बड़ी समस्या बन जाती है। 2. मोटापे के कारण बच्चों में हार्ट अटैक का खतरा डॉक्टरों का कहना है कि मोटापा भी बच्चों में हृदय रोग के सबसे बड़े कारणों में से एक है। बच्चों में मोटापे के कारण सांस संबंधी समस्या, मधुमेह और अन्य बीमारियां हो सकती हैं। अगर माता-पिता सही समय पर गंभीर नहीं हुए तो समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
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अगर बच्चा हृदय रोग से पीड़ित है तो उसका ख्याल रखें
हृदय रोग विशेषज्ञ का कहना है कि अगर कोई बच्चा किसी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित है तो उसका ख्याल रखें। समय-समय पर डॉक्टर से मिलें और उनकी दवाइयां और सलाह लें। बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता न करें।
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पढ़ाई का तनाव
कई माता-पिता छोटी-छोटी बातों को अनदेखा कर देते हैं, जो बच्चों के लिए ठीक नहीं है। हमारे समाज में पढ़ाई को लेकर बहुत तनाव है। बच्चे घर से बाहर जाकर गलत चीजें खाते हैं, कई बार कम उम्र में ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं, पढ़ाई को लेकर भी तनाव लेते हैं, जो उनके दिल को खोखला कर देता है और गंभीर जोखिम बढ़ाता है।
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