India News (इंडिया न्यूज),Bakrid 2025: यूपी के देवरिया से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। जहां बकरीद के मौके पर शनिवार को गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव में सनसनीखेज वारदात हुई। एक अधेड़ ने कुर्बानी के नाम पर खुद का गला रेत लिया। गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में एडमिट कराया गया जहां इलाज के दरम्यान उसकी मौत हो गई। उसके पास एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि अल्लाह के रसूल के नाम पर कुर्बानी दी जाए।

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जानें पूरा मामला? Bakrid 2025

गौरी बाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव निवासी 58 वर्षीय ईश मोहम्मद ईद उल अजहा पर शनिवार की सुबह अन्य लोगों के साथ नमाज पढ़ने गए थे। नमाज पढ़कर लौटने के बाद वह घर के बगल में स्थित झोपड़ी में चले गए। परिजनों ने सोचा कि वह नमाज पढ़ रहे हैं, इसलिए वहां कोई नहीं जा रहा था। काफी देर बाद भी जब ईश मोहम्मद बाहर नहीं आए तो परिजनों को शक हुआ। इसके बाद परिजन झोपड़ी में गए तो दंग रह गए। उनकी गर्दन कटी हुई थी और वह लहूलुहान अवस्था में पड़े थे।

यह देख परिजन उन्हें महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज देवरिया ले गए, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया गया, जहां देर शाम उनकी मौत हो गई। पत्नी हाजरा खातून ने बताया कि ईश मोहम्मद अंबेडकर नगर के किछौछा स्थित मखदूम बाबा की मजार पर अक्सर आते थे और हमेशा इबादत में लीन रहते थे। मखदूम बाबा से प्रभावित होकर उन्होंने कुर्बानी देने के लिए अपना गला रेत लिया।

झोपड़ी में ईश मोहम्मद का लिखा पत्र मिला

ईश मोहम्मद के पास मिले पत्र में लिखा है, “एक व्यक्ति बकरे को अपने बेटे की तरह पालने के बाद उसकी कुर्बानी देता है। वह भी एक जीवित प्राणी है। मैं अल्लाह के रसूल के नाम पर अपनी कुर्बानी दे रहा हूं। मुझे डर के मारे मत दफनाना।” मुझे किसी ने नहीं मारा है। मुझे शांति से दफनाना, किसी से मत डरना। मेरी कब्र वहीं होनी चाहिए जहाँ बांस के पास खूंटी है।

इस मामले में सीओ हरिराम यादव ने बताया कि बकरीद के दिन एक व्यक्ति द्वारा खुद का गला काटने की सूचना मिलने पर वह मौके पर गए थे। परिजनों से बातचीत में आशंका जताई जा रही है कि अंधविश्वास के चलते उसने ऐसा कदम उठाया। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।

ईश मोहम्मद के कदम से उधोपुर गांव के लोग हैरान

बकरीद के त्योहार पर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने प्रिय पशुओं की कुर्बानी देने में व्यस्त रहे। अचानक अंधविश्वास के चलते ईश मोहम्मद ने बड़ा कदम उठा लिया। उसने अपनी कुर्बानी दे दी। जब गांव वालों को इसकी जानकारी हुई तो वे सदमे में आ गए। परिवार में मातम छा गया और परिजनों की आंखें भर आईं। पत्नी हाजरा खातून भी दहाड़ मारकर रोने लगीं। बेटियों की आंखें भी भर आईं। गांव वालों ने कहा कि ईश मोहम्मद से इस तरह की उम्मीद नहीं थी। ईश मोहम्मद के तीन बेटे हैं- अहमद, फैज और ताज। जबकि उनकी दो बेटियां हैं- नजमुन और ताजरुन। छोटा बेटा मुंबई में रहकर काम करता है। तीन कमरों का मकान है जिसमें दोनों बेटे अपने परिवार के साथ रहते हैं। बगल में झोपड़ी है जिसमें बकरियां रहती हैं। दोनों बेटे बकरीद मनाने गांव गए थे।

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