India News(इंडिया न्यूज़)UP News: यूपी के महराजगंज की सड़कों पर एक ऐसा नजारा देखने को मिला जो चर्चा का विषय बन गया। देखने वाले दंग रह गए। दरअसल, राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में शादियों के दौरान बिंदूरी की रस्म निभाई जाती है।
समाज में बेटा-बेटी एक समान का संदेश…
इस रस्म में लड़का घोड़ी पर बैठता है और उसकी बिंदूरी एक स्थान से शहर या गांव के विभिन्न मार्गों से निकाली जाती है। यही रस्म महराजगंज के सिसवा कस्बे में मारवाड़ी समाज द्वारा निभाई गई। इस बिंदूरी की कस्बे में खूब चर्चा हो रही है। सिसवा कस्बे में मारवाड़ी समाज ने यह पहल शुरू की है। सिसवा कस्बे के चित्रगुप्त नगर वार्ड निवासी सज्जन अग्रवाल ने अपनी बेटी को घोड़ी पर बैठाकर बिंदूरी निकाली। समाज में बेटा-बेटी एक समान का संदेश देते हुए उन्होंने अपनी बेटी निधि अग्रवाल को घोड़ी पर बैठाकर उसे पूरे नगर में घुमाया।
बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर…
शादी में शामिल होने आए रिश्तेदारों ने भी बेटी की बिंदूरी में डीजे और बैंड बाजे की धुन पर नाचते-गाते हुए उत्साह के साथ बिंदूरी निकाली। सिसवा कस्बे के कपड़ा व्यवसायी बाबूलाल अग्रवाल ने बताया कि 1994 में श्रीगंगानगर जिले का विभाजन कर हनुमानजी का मंदिर बनाया गया और फिर 2023 में अनूपगढ़ जिला बनाया गया। भौगोलिक दृष्टि से पंजाब से सटा यह क्षेत्र भले ही तीन जिलों में बंटा हो, लेकिन यहां के लोगों की सोच एक ही है। शादी के समय घोड़ी पर बैठना केवल पुरुषों का अधिकार माना जाता रहा है और अभी तक किसी भी समाज ने बेटियों को घोड़ी पर चढ़ने का अधिकार नहीं दिया है। लेकिन अब उस क्षेत्र में दलित हो या सवर्ण, सभी समाज के लोग अपने बेटों के साथ अपनी बेटियों को घोड़ी पर बैठाकर बिंदौरी निकालते हैं।
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