India News(इंडिया न्यूज),Bhadohi News:उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में एक कालीन कारखाने में बाल श्रम का सनसनीखेज मामला सामने आया है। श्रम विभाग और ऐंटी-ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग यूनिट (AHTU) की संयुक्त टीम ने छापेमारी कर 7 नाबालिग बच्चों को मुक्त कराया, जो अमानवीय परिस्थितियों में काम करने को मजबूर थे। बच्चों को चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया गया है, जबकि आरोपी कारखाना संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
छापेमारी के दौरान कई बच्चे भाग निकले
यह छापेमारी भदोही कोतवाली क्षेत्र के जलालपुर मुस्लिम बस्ती स्थित मखमली कालीन कारखाने में की गई, जहां वर्षों से नाबालिग बच्चों से जबरन कालीन बुनवाई कराई जा रही थी। बताया जा रहा है कि छापेमारी के दौरान कुछ बच्चे भागने में सफल रहे। इन बच्चों को बिहार के अलग-अलग शहरों से लाया गया था और इनसे 14 से 15 घंटे तक काम कराया जाता था।
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बाल श्रम कानूनों की उड़ रही धज्जियां
श्रम प्रवर्तन अधिकारी जेपी सिंह ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने यह कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद कारखाना संचालक अकरम अंसारी के खिलाफ बाल श्रम अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।” बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष पीसी उपाध्याय ने बताया कि कारखाने में 10 से 12 साल की उम्र के बच्चे बुनाई का काम कर रहे थे। बच्चों के माता-पिता का कोई पता नहीं चल पाया है, जिसके चलते उन्हें वाराणसी के राजकीय बाल गृह रामनगर भेज दिया गया है।
बाल श्रम के खिलाफ कब होगी ठोस कार्रवाई?
बाल श्रम के मामलों में सरकार जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का दावा करती है, लेकिन कालीन बुनाई उद्योग में बच्चों का शोषण लगातार जारी है। आरोपी संचालकों और निर्यातकों पर ठोस कार्रवाई कब होगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है।