India News (इंडिया न्यूज),Caste Census: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत सरकार ने राजनीतिक मामलों की कैबिनेट में निर्णय लिया है कि आगामी जनगणना में जाति आधारित जनगणना को शामिल किया जाएगा। वहीं मोदी सरकार के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है, सपा ने कहा कि आखिरकार भाजपा को इस देश की मांग के आगे झुकना पड़ा।
सपा नेता आईपी सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा- “जातिगत जनगणना सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी को आखिरकार देश की मांग के आगे झुकना पड़ा। लेकिन ध्यान रहे पिछड़ों, दलितों और वंचितों की लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती, यह जनगणना कौन करेगा? समिति के सदस्य हर समाज से होंगे या नहीं? सही जनगणना होना बहुत जरूरी है। हम सभी केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि यह जनगणना सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए।”
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सपा ने जाति जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठाया
बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने जाति जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। सपा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर जाति जनगणना से बचने का आरोप लगाया था। सपा का कहना था कि सरकार जातीय जनगणना कराने से इसलिए भाग रही है क्योंकि इससे ओबीसी और अन्य वंचित समुदायों की असली स्थिति लोगों के सामने आ जाएगी। सपा ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में भी 2011 की जनगणना के दरम्यान यह मांग उठाई थी।
कांग्रेस सरकार ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आज तक जाति जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से अब तक जितनी भी जनगणना हुई हैं, उनमें जातियों की गणना नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि कैबिनेट में जाति जनगणना पर विचार किया जाएगा। इसके बाद एक कैबिनेट समूह भी बनाया गया, जिसमें अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति आधारित जनगणना का सुझाव दिया। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना की जगह एक सर्वेक्षण कराना उचित समझा, जिसे एसईसीसी के नाम से जाना जाता है।