India News (इंडिया न्यूज)UP News: असम में कांग्रेस कार्यकर्ता अडानी मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान एक कार्यकर्ता की मौत हो गई। वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आंसू गैस के गोले दागे गए, पुलिस की इस कार्रवाई में उस कार्यकर्ता की मौत हो गई।
आंसू गैस इतना खतरनाक होता है क्या?
असम कांग्रेस ने अपने ऑफिसियल X आईडी पर इस मामले की जानकारी देते हुए लिखा कि मृदुल इस्लाम की मृत्यु से बेहद दुखी है। जिन्होंने शांतिपूर्ण मार्च में अपनी जीवन की आहुति दी। सवाल उठता है कि क्या आंसू गैस के गोले इतने खतरनाक होते हैं कि इससे किसी की जान चली जाए? हम आपको अपनी आप बीती बताते हैं।
आंदोलनकारी को निशाना..
किसान आंदोलन समेत कई ऐसे आंदोलन है जहां आंसूगैस के गोले दागे जाते हैं। वहां आंदोलनकारी को निशाना बनाया जाता है, लेकिन मीडियाकर्मी भी मौजूद होते हैं। उस गैस का असर वहां मौजूद सभी लोगों पर पड़ता है। आंखे जलने लगती है, सांस लेने में दिक्कत होती है। इतना ही नहीं अगर आंसूगैस के गोले अगर आपके शरीर पर पड़ जाए तो आप घायल भी हो सकते हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर
इस मामले पर हमने उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के सीनियर मेडिकल अफसर डॉक्टर मीरा पाठक से बात की। उन्होंने बताया कि आंसू गैस के गोले आंसू उत्पन्न करने वाले केमिकल से बना होता है। वैसे तो खतरनाक नहीं होता लेकिन कई बार यह काफी दिक्कत कर सकता है। सांस लेने में दिक्कत होती है। छींक ज्यादा आती है,खांसी होती है। डॉक्टर पाठक कहती हैं कि कई बार यह जानलेवा हो सकता है।
कब पहली बार इस्तेमाल किया गया यह हथियार..
एक्सपर्ट की माने तो आंसू गैस या पेपर एक्सप्रे पहली बार प्रथम विश्वयुद्ध में किया गया। यह कॉमन केमिकल हथियार है, जो युद्ध में या दंगा नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय सेना से रिटायर्ड कर्नल हिमांशी सिंह बताती है कि आंसू गैस का केमिकल नाम 2-chlorobenzalmalononitrile (C10H5ClN2) है। यह भीड़ को नियंत्रण करने और दंगा भड़कने से रोकने के लिए किया जाता है।
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