इंडिया न्यूज, प्रयागराज:
Pollution in Ganga देश की प्रमुख नदियों में प्रदूषण बढ़ने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस प्रदूषण से जहां हजारों जीव प्रजातियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है वहीं इस प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। वहीं गंगा जैसी नदी जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है में बढ़ते प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाए हैं। हाईकोर्ट ने शोधन के बाद गंगा में गिरने वाले नालों के पानी की जांच आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू से कराने का निर्देश दिया है।
ट्रीटमेंट के बाद गंगा में गिर रहे नाले (Pollution in Ganga)
यह नाले बायोरेमिडियन ट्रीटमेंट के बाद गंगा में गिराए जा रहे हैं। कोर्ट ने नालों के पानी का सैंपल लेकर जांच कराकर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
यह है नालों की वर्तमान स्थिति (Pollution in Ganga)
इस बारे में हाईकोर्ट को जानकारी देते हुए जल निगम लखनऊ के प्रबंध निदेशक ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि प्रयागराज में 740 में से 48 नाले खुले हैं, 10 अस्थाई रूप से टैप किए जाते हैं। शेष टैप किए गए हैं। गंगा में जाने से रोका गया है। अपर मुख्य सचिव नगर विकास को पत्र लिखकर नाले गंगा में जाने से रोकने के लिए एक करोड़ की योजना दी गई है। एक माह में डीपीआर तैयार होगा।
24 माह में पूरा होगा प्रोजेक्ट (Pollution in Ganga)
क्लीन गंगा राष्ट्रीय मिशन की अनुमति के बाद 24 महीने में प्रोजेक्ट पूरा होगा। कोर्ट ने कहा कि 20 फरवरी 21 को पत्र लिखे 8 माह बीत चुके हैं, इनकी अद्यतन जानकारी दी जाए। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पूर्णपीठ गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई कर रही है।
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