India News (इंडिया न्यूज़),Juna Akhada: महाकुंभ 2025 ने जहां धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई, वहीं मेला क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी बेटी का विवाह गुरु महंत से किया। हालांकि, कन्यादान निषेध के चलते संत पथ पर किया गया। मेला क्षेत्र में कन्यादान की चर्चा होते ही हर तरफ से इसकी निंदा होने लगी। इसके बाद कन्यादान लेने वाले जूना क्षेत्र के महंत कौशल गिरि को नॉर्वे से 7 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया।
लड़की को वापस परिवार के पास भेजा गया
वहीं, लड़की को वापस परिवार के पास भेज दिया गया। 26 दिसंबर को संदीप सिंह धाकरे और रीमा अपने परिवार के साथ आगरा से संगम क्षेत्र के सेक्टर नंबर 20 में अपने गुरु कौशल गिरि के शिविर में आए थे। कौशल गिरि जूना समां के श्री महंत हैं। सोमवार को संदीप और रीमा ने अपनी बड़ी बेटी राखी का पूजन कर कन्यादान किया। राखी की मां रीमा ने बताया कि वह करीब 4 साल से गुरु की सेवा से जुड़ी हैं। कौशल गिरि अपने वंश में भागवत कथा का अवलोकन करते आ रहे थे। वहीं से उनके परिवार की भक्ति कहीं और से शुरू हुई।
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ऑर्थोबांस की इच्छा में लिया गया फैसला
बेटी राबड़ी नागालैंड की इच्छा थी, उनकी इच्छा महाकुंभ क्षेत्र में आई। पिता संदीप सिंह ने भी बेटी के नामकरण पर खुद को सौभाग्यशाली बताया। 13 साल पहले महंत कौशल गिरि ने कन्यादान के बाद उसे नया नाम गौरी दिया था। संस्कार पिंडदान की तिथि भी बताएं।
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जूना समाना की आम बैठक में लिया गया फैसला
जूना समाना के कौशल गिरि द्वारा इस नई परंपरा का संत समुदाय ने विरोध शुरू कर दिया। रमता पंच ने इस तरह की कार्रवाई को गलत माना। वृद्धा बन चुकी राखी (गौरी) को वापस उसके मायके भेज दिया गया। इसके साथ ही महंत कौशल गिरि को कारोबार से हटा दिया गया। जूना उद्योग की आम बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया।