India News (इंडिया न्यूज),Lathmar Holi of Braj 2025:रंगों के त्योहार होली का जिक्र हो और ब्रज की लठमार होली की बात न हो, यह नामुमकिन है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इस होली में प्रेम के नाम पर डंडों की बारिश क्यों होती है? क्यों महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष हंसी-खुशी उसे सहते हैं? इस अनोखी परंपरा के पीछे छिपा है एक रहस्य, जो सदियों से लोगों को आकर्षित करता आ रहा है।

प्रेम, खेल या सजा? लठमार होली की पौराणिक कथा

लठमार होली की जड़ें सीधे भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी से जुड़ी हैं। कहा जाता है कि जब भगवान कृष्ण अपनी सखाओं के साथ राधा और उनकी सखियों से मिलने बरसाना आए थे, तो उन्होंने राधा से हंसी-मजाक में होली खेलने की इच्छा जताई। लेकिन राधा और उनकी सखियों ने कृष्ण और उनके मित्रों को डंडों से खदेड़ दिया। तभी से इस परंपरा की शुरुआत हुई, जो आज तक चल रही है।

कैसे खेली जाती है लठमार होली?  

बरसाना की लठमार होली में पुरुष नंदगांव से आते हैं और राधा की नगरी बरसाना में रंग-गुलाल के साथ होली खेलने की कोशिश करते हैं। लेकिन यहां की महिलाएं उन्हें डंडों (लाठियों) से मारती हैं। पुरुष खुद को ढाल (ढकने वाले उपकरण) से बचाने की कोशिश करते हैं। कहा जाता है कि इस खेल में जो पुरुष महिलाओं के वार को सह लेता है, उसे प्रेम का आशीर्वाद मिलता है।

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प्रेम के नाम पर डंडे मारने का क्या है रहस्य?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह परंपरा प्रतीक है कि प्रेम में तकरार और चुनौती का भी महत्व है। जिस तरह कृष्ण ने राधा से प्रेम में चुनौती स्वीकार की थी, उसी तरह लठमार होली में डंडे सहने का अर्थ है प्रेम की परीक्षा देना। इसे प्रेम में समर्पण और साहस का प्रतीक माना जाता है। लठमार होली के दौरान पूरा माहौल प्रेम, भक्ति और उमंग से भर जाता है। “*राधे-राधे” और “कृष्ण-कृष्ण*” के जयकारों के बीच रंग और डंडों की वर्षा होती है। पुरुषों के चेहरे पर दर्द के बावजूद मुस्कान होती है, क्योंकि इसे प्रेम की निशानी माना जाता है।

क्या सच में लठमार होली प्रेम का प्रतीक है या है कोई गहरा रहस्य?

स्थानीय लोगों का मानना है कि लठमार होली सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि आत्मा और प्रेम की गहराइयों को महसूस करने का माध्यम है। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन किए गए वार से नकारात्मक ऊर्जाएं नष्ट हो जाती हैं और शरीर की शुद्धि होती है। लठमार होली का यह अनोखा संगम दुनिया भर से लोगों को अपनी ओर खींचता है। प्रेम और दर्द के इस खेल में हर साल हजारों लोग भाग लेने आते हैं। सवाल यही है — क्या आप इस प्रेम के नाम पर डंडे खाने के लिए तैयार हैं या इसे सिर्फ एक परंपरा मानकर नजरअंदाज करेंगे?

तो इस बार होली में अगर आप बरसाना पहुंचें, तो प्रेम के नाम पर पड़ने वाले इन डंडों को आशीर्वाद समझिए — क्योंकि यहां प्रेम की परीक्षा डंडों से होती है!