India News (इंडिया न्यूज़), Lucknow News: निखत को आवंटित लगभग छह हजार वर्ग फीट के आलीशान बंगले का किराया महज एक हजार रुपये महीने था। इस बंगले को लेकर तीन साल पहले शासन को शिकायत की गई थी।
पूर्व नगर व विकास मंत्री व सपा नेता आजम खां की बहन निखत अफलाक को नगर निगम ने साल 2007 में रिवर बैंक कॉलोनी में बंगला नंबर ए-2/1 आवंटित किया था। तीन साल पहले नगर निगम ने आवंटन निरस्त कर ताला लगा दिया था।

24 नवंबर 2020 को स्टे मिला

नगर निगम के विरोध में निखिल हाईकोर्ट गई, वहां 24 नवंबर 2020 को स्टे मिल गया इसमें यथास्थिति बनाने का आदेश था। अब इसी स्थगन आदेश को खारिज कराने की मांग रामपुर के विधायक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। इस पर शासन के संयुक्त सचिव कल्याण बनर्जी ने नगर निगम से 15 दिन में रिपोर्ट तलब की है।

इस आवंटन के खिलाफ रामपुर की रहने वाली एक महिला ने शिकायत दर्ज की थी। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए लखनऊ नगर निगम ने कार्रवाई की है।

किराया महज एक हजार रुपये

गौरतलब है कि निखत को आवंटित करीब छह हजार वर्ग फीट के आलीशान बंगले का किराया महज एक हजार रुपये महीने था। इस बंगले को लेकर तीन साल पहले शासन को शिकायत हुई थी। मामले में निगम ने जांच कर 24 अगस्त 2020 को आवंटन निरस्तीकरण का नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि जांच के दौरान बंगला बंद मिला। उसमें कोई नहीं रहता है।

प्रशासन संतुष्ट नहीं

यह भी कहा गया कि निखत रामपुर के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका थीं और सेवानिवृत्ति के बाद से वहीं रह रही हैं। निखत ने नोटिस का जवाब दिया लेकिन प्रशासन संतुष्ट नहीं हुआ। इसके बाद निगम ने इस आधार पर आवंटन निरस्त कर दिया कि जब निखत को बंगला आवंटित हुआ था, तब वह न तो किसी सरकारी सेवा में थीं और न ही लखनऊ में कार्यरत थीं।

2 नवंबर 2020 को बंगले को सील कर दिया

आवंटन निरस्त होने के बाद तत्कालीन नगर आयुक्त के आदेश पर रेंट प्रभारी ने निखत को 15 दिन में बंगला खाली करने का नोटिस भी जारी किया था। नोटिस अवधि खत्म होने पर नगर निगम ने 2 नवंबर 2020 को बंगले को सील कर दिया और सरकारी ताला लगा दिया था।

आजम खां व उनके प्रतिनिधियों का कब्जा

वही रामपुर विधायक आकाश सक्सेना ने पिछले महीने सीएम को पत्र लिखकर नगर निगम पर आरोप लगाया कि हाईकोर्ट में प्रभावी पैरवी न करने से निखत अफलाक को मिला स्थगन आदेश अब तक चल रहा है। ऐसे में सरकारी बंगले पर आजम खां व उनके प्रतिनिधियों का कब्जा बना हुआ है। प्रभावी पैरवी कर स्थगन आदेश को निरस्त कराकर इस बंगले का कब्जा वापस लिया जाए।

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