India News (इंडिया न्यूज़),Maha Kumbh ka Maha Manch 2025: प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत “महाकुंभ का महामंच” कार्यक्रम से हो चुकी है। इस भव्य आयोजन में देशभर से कई साधु-संत पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत TSG फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर की।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने वाले अरुण गिरि जी ने  क्या बोले ?

हिंदू धर्म परंपराओं के अनुसार दीप प्रज्वलन के बाद कार्यक्रम आगे बढ़ा। इस आयोजन में विशेष उपस्थिति दर्ज कराई आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर अरुण गिरि जी महाराज ने। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने वाले अरुण गिरि जी ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि उनका पर्यावरण से जुड़ाव बचपन से ही रहा है। जंगलों की सैर ने उन्हें यह सिखाया कि मनुष्य को प्रकृति की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए।

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विपक्ष पार्टी को लेकर कही बड़ी बात

महामंडलेश्वर अरुण गिरि जी ने यज्ञ की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि यह सनातन धर्म की धरोहर है। यज्ञ न केवल आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि जीवन को नई दिशा भी देता है। उन्होंने राजा दशरथ के उदाहरण से बताया कि यज्ञ के माध्यम से मनुष्य भगवान को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आगे वह बताते है कि सनातन धर्म सबको देता हैं लेता नहीं, सनातन धर्म किसी धर्म को नष्ट नहीं करता है। सनातन धर्म का मूल उद्देश्य सभी धर्मों की रक्षा करना है। हमारे नागा संन्यासियों ने मुगलों और अंग्रेजों से लड़कर सनातन परंपरा की रक्षा की। यह हमारी विरासत है, जिसे हर पीढ़ी को समझना चाहिए। यही परंपरा है कि सभी के धर्म की रक्षा करना, यज्ञ का रक्षा करना, गाय की रक्षा करना, सभी जात-पात की रक्षा करना, इसलिए हमारे महा पुरूष कार्य करते हैं, आगे जब हमारी इंडिया न्यूज की टीम विपक्ष को लकेर सवाल पुछती है तो वह इसपर कहते हैं कि ‘भारत में चाहे पक्ष की पार्टी हो या विपक्ष की… विपक्ष पार्टी के 80% मतदाता भी इस खास अवसर पर आने के लिए तैयार बैठे हैं।’

पर्यावरण संरक्षण और सनातन धर्म का संदेश

अरुण गिरि जी ने पर्यावरण बचाने के अपने अभियान का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने 2010 में 20,000 वृक्ष लगाए थे। उन्होंने कहा कि 2035 तक अगर मनुष्य पर्यावरण के संरक्षण में जुटा रहा तो प्रकृति में बड़ा बदलाव संभव है। सनातन धर्म को स्वच्छ जल की तरह पवित्र बताते हुए उन्होंने इसे मानव कल्याण का सबसे बड़ा साधन कहा। कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि भारत में हर व्यक्ति को पर्यावरण, धर्म और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए।

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