India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: महाकुम्भ महज एक मेला नहीं, बल्कि मानवता और अध्यात्म का महापर्व है। करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस पर्व में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। महाकुम्भ का मुख्य उद्देश्य लोगों को धर्म, सत्संग और सेवा के माध्यम से जीवन की सच्चाई से जोड़ना है। तीर्थराज प्रयाग के प्रयाग पुत्र के नाम से प्रसिद्ध राकेश कुमार शुक्ला ने महाकुम्भ के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए इसे समझने और इसके आदर्शों को अपनाने की अपील की।

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डिजिटल डिटॉक्स और रियल जीवन का जरुरी संदेश

जानकारी के मुताबिक, राकेश शुक्ला ने कहा कि महाकुम्भ केवल एक मेला नहीं है, बल्कि यह पतित को पावन बनाने का पर्व है। उन्होंने महाकुम्भ को चार भागों में बांटते हुए इसकी आध्यात्मिक, प्रबंधन, आर्थिक और वैश्विक महत्ता पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, यह पर्व सनातन वैदिक धर्म का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य मानव मात्र का कल्याण करना है। ऐसे में, कुम्भ ऋषि-मुनियों, संतों और समाज के समर्पण से बनता है, जो यह सिखाता है कि धर्म में व्यवसाय नहीं होना चाहिए।

कल्पवास का उद्देश्य और संदेश

बताया गया है कि, महाकुम्भ के दौरान कल्पवास का उद्देश्य रील जीवन छोड़कर वास्तविक जीवन जीना है। यह श्रद्धालुओं को डिजिटल दुनिया से हटाकर ध्यान, सेवा और आत्मशुद्धि की ओर ले जाता है। राकेश शुक्ला ने कहा कि महाकुम्भ के माध्यम से संत यह संदेश देते हैं कि जीवन में धर्म और सेवा का समावेश होना चाहिए। इसके साथ ही महाकुम्भ को ईश्वरीय संविधान से प्रेरित पर्व बताते हुए शुक्ला ने श्रद्धालुओं से इसे मेला न बनाकर पर्व के रूप में मनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह पर्व मानवता, धर्म और अध्यात्म का संगम है, जो पतित को पावन बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।

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