India News (इंडिया न्यूज़),Mahakumbh Manch 2025: 14 जनवरी 2025 से प्रयागराज में कुंभ मेले का शुभारंभ होने जा रहा है, जो 26 फरवरी तक चलेगा। इस आयोजन को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ इसे 144 साल बाद लगने वाला महाकुंभ बता रहे हैं, तो कुछ इसे पूर्ण कुंभ कह रहे हैं।
स्नान करने से जीवन के पाप समाप्त होते हैं
सनातन धर्म में कुंभ और महाकुंभ का विशेष महत्व है। मान्यता है कि त्रिवेणी संगम में स्नान करने से जीवन के पाप समाप्त होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंभ मेला हर तीन साल में चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में लगता है। वहीं, पूर्ण कुंभ हर 12 साल में एक बार और महाकुंभ 144 साल में एक बार आयोजित होता है।
144 साल में एक बार होता है महाकुंभ
महाकुंभ का आयोजन 12 पूर्ण कुंभों के बाद होता है। चूंकि प्रत्येक पूर्ण कुंभ 12 साल के अंतराल पर होता है, इसलिए महाकुंभ का चक्र 144 वर्षों में पूरा होता है। हालांकि, ऐतिहासिक रूप से महाकुंभ की सही गिनती करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि कुंभ मेले का आरंभिक वर्ष स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है।
2025 में कौन सा कुंभ लग रहा है?
प्रयागराज में 2013 में पूर्ण कुंभ का आयोजन हुआ था। उस हिसाब से 2025 का कुंभ भी पूर्ण कुंभ ही होगा। फिर भी, इसे महाकुंभ कहने का चलन भी है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए, लोग इसे 144 साल बाद का महाकुंभ मान रहे हैं।
सटीक जानकारी की कमी
महाकुंभ या पूर्ण कुंभ की पहचान के लिए यह देखना आवश्यक है कि यह आयोजन 144 वर्षों के चक्र में आता है या नहीं। लेकिन चूंकि कुंभ मेले का आरंभिक वर्ष निश्चित नहीं है, इसलिए 2025 के कुंभ को महाकुंभ या पूर्ण कुंभ कहना केवल मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। 2025 का कुंभ, चाहे पूर्ण कुंभ हो या महाकुंभ, इसका महत्व और भव्यता अद्वितीय है। यह धार्मिक आयोजन न केवल आध्यात्मिक शांति का प्रतीक है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और परंपरा का पर्व भी है।
सजा महाकुंभ 2025 का महामंच, लग रहा भारी संख्या में श्रृद्धालुओं का जमावड़ा