India News (इंडिया न्यूज)Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर काशी में अखाड़ों की पेशवाई निकाली गई। सबसे पहले जूना अखाड़े की पेशवाई हरिश्चंद्र घाट से शुरू हुई, जिसका नेतृत्व महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने किया। नागा साधु हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा लेकर हर-हर महादेव का जयकारा लगाते हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए निकले। अखाड़ों को काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर 4 से प्रवेश दिया गया, जहां उनका पुष्प वर्षा और माला पहनाकर भव्य स्वागत किया गया।

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विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत काशी पहुंचे

महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर अखाड़ों के नागा साधु, संत और महंत काशी पहुंचे। संन्यासी बाबाओं के दर्शन के लिए निकाली गई पेशवाई सबसे पहले पंचदशनाम जूना अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और आह्वान अखाड़े ने संयुक्त रूप से निकाली। इसके एक घंटे बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के साधु-संत भी काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए रवाना हुए।

महाकुंभ के बाद विश्वनाथ दर्शन की परंपरा

महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि ने बताया कि परंपरा के अनुसार महाकुंभ के बाद जूना अखाड़ा भगवान विश्वनाथ के दर्शन के लिए निकलता है। इस परंपरा का पालन करने के लिए हजारों नागा संन्यासी काशी में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि “आधा भारत महाकुंभ में पहुंचा, आधा भारत महाकुंभ में जी रहा है।”

पेशवाई में दिखाए हैरतअंगेज करतब

पेशवाई के दौरान नागा साधुओं ने गदा, तलवार और भाले से हैरतअंगेज करतब दिखाए। सबसे पहले पंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई निकली, एक घंटे बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े और अंत में महानिर्वाणी अखाड़े और अटल अखाड़े के साधु-संतों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। नागा साधु जहां-जहां से गुजर रहे थे, वहां श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के नारे और पुष्प वर्षा के साथ उनका स्वागत किया।

दर्शन के बाद वापस लौटेंगे अखाड़े

बाबा विश्वनाथ के दर्शन और पूजन के बाद सभी नागा साधु-संत अपने अखाड़ों में वापस लौट जाएंगे। जुलूस के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। इस मार्ग पर यातायात पूरी तरह प्रतिबंधित रहा, जबकि जुलूस के बाद स्नानार्थियों को विभिन्न मार्गों से घाटों तक पहुंचाया गया।

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