India News (इंडिया न्यूज), Masan Holi 2025: भगवान शिव की नगरी काशी में करीब दस दिनों से मसाने की होली को लेकर बड़ा विवाद चल रहा था। लोग इसे अशास्त्रीय और असनातनी बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। इसके बावजूद मंगलवार को बड़ी संख्या में लोग अघोरी वेश में हरिश्चंद्र घाट पहुंचे और चिता की राख से होली खेली। जब लोगों ने चिता की राख को शरीर पर लपेटकर और गले में मानव मुंडों की माला पहनकर इस होली में हिस्सा लिया तो नजारा बेहद डरावना हो गया। इसके बावजूद बड़ी संख्या में देशी-विदेशी लोग इस होली को देखने पहुंचे।
इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से सुबह से ही हरिश्चंद्र घाट पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। सुबह 11 बजे से ही लोग मसाने की होली के लिए हरिश्चंद्र घाट पर जुटने लगे थे। लोगों ने गले में मानव मुंडों और सांपों की माला लटकाकर इस होली में हिस्सा लिया। दोपहर 12 बजे से हरिश्चंद्र घाट पर मसाने की होली शुरू हो गई। इस होली में हिस्सा लेने वाले लोग डीजे बजाकर और देवी-देवताओं के रूप में करतब दिखाकर पूरे उत्साह में नजर आए। चिता भस्म की होली को कवर करने के लिए बड़ी संख्या में यूट्यूबर्स भी पहुंचे, जिन्होंने ड्रोन कैमरों से इस अजीबोगरीब घटना को कवर किया।
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डीजे बंद कराया गया और ड्रोन जब्त किए गए
हालांकि बाद में पुलिस ने डीजे बंद करा दिया और मौके से कई ड्रोन कैमरे भी जब्त किए गए। महाकाल और महाकाली का वेश धारण किए एक व्यक्ति ने अपने गले में सांपों की माला डाल रखी थी। अचानक उसने सांप का मुंह अपने मुंह में डाल लिया। यह देख लोगों की सांसें थम सी गईं। इस तरह करीब दो घंटे तक हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली चलती रही। अब बुधवार को मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की परंपरागत होली खेली जाएगी। आपको बता दें कि श्री काशी विद्वत परिषद, विश्व वैदिक सनातन संघ और सनातन रक्षक दल मसाना की होली का विरोध कर रहे हैं।
काशी विद्वत परिषद ने जताया था विरोध Masan Holi 2025
इन संगठनों ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि श्मशान घाट पर होली मनाना काशी की परंपरा और धर्म के खिलाफ है। श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने कहा था कि शास्त्रों में श्मशान घाट पर जाने और वहां के व्यवहार की मर्यादा बताई गई है। श्मशान घाट पर होली मनाना उन सभी मर्यादाओं का उल्लंघन और परंपरा से छेड़छाड़ है। उन्होंने स्कंद पुराण का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी शास्त्र इसे लाभकारी नहीं मानता। यह एक घृणित घटना है जो व्यक्तिगत प्रगति में बाधा डालती है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के सदस्य चंद्रमौलि उपाध्याय ने कहा कि श्मशान घाट पर होली मनाने की परंपरा पद्म विभूषण छन्नूलाल जी के समय में होली के बाद शुरू हुई।