India News (इंडिया न्यूज़),Moradabad Gaurishankar temple: एसपी सिटी ने गुरुवार रात नागफनी क्षेत्र में झब्बू का नाला के पास स्थित गौरीशंकर मंदिर का निरीक्षण किया। शुक्रवार सुबह एसडीएम ने भी मौके पर जाकर आसपास के लोगों से बातचीत की। जिला प्रशासन मंदिर खुलवाने के लिए तैयार है। एसपी सिटी कुमार रणविजय झब्बू का नाला स्थित गौरीशंकर मंदिर का निरीक्षण करने गए थे। पूछने पर पता चला कि मंदिर की देखभाल मोहिनी किन्नर करती हैं। मौके पर साफ-सफाई मिली।
एसडीएम सदर भी पुलिस बल के साथ गए
शुक्रवार सुबह एसडीएम सदर राम मोहन मीना भी पुलिस बल के साथ गए। उन्होंने आसपास के लोगों से मंदिर के बारे में जानकारी जुटाई। इस दौरान लाइनपार मझोला निवासी शिकायतकर्ता सेवा राम को बुलाया गया, लेकिन वह नहीं आए। एसडीएम का कहना है कि मंदिर खुलवाने में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। गुरुवार को लाइनपार मझोला निवासी सेवा राम ने डीएम और एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि उनके परदादा स्वर्गीय भीमसेन सौ साल पुराने गौरीशंकर मंदिर की देखभाल करते थे।
गंगा सरन ने पूजा-अर्चना शुरू की
उनके बाद दादा गंगा सरन ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी। वर्ष 1980 में हुए दंगों के दौरान दादा की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भयभीत परिवार लाइन पार मझोला में आकर रहने लगा। जैन मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। गांव रतनपुर कलां में बंद पड़े प्राचीन जैन मंदिर को सरकार व जिला प्रशासन अपनी देखरेख में ले। साथ ही इस स्थान का सार्वजनिक उपयोग भी सुनिश्चित करे। यह कहना है टीएमयू के कुलपति सुरेश जैन का।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो मंदिर का उपयोग डिस्पेंसरी, लाइब्रेरी या किसी सरकारी कार्य के लिए कर सकती है, ताकि यह आम लोगों के काम आ सके। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन चाहे तो जैन समाज के लोग लिखित में सहमति पत्र देने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के पलायन के बाद मंदिर में भगवान की मूल मूर्तियों में से भगवान आदिनाथ की एक मूल मूर्ति वर्ष 1985 में ही मझोला मुरादाबाद मंदिर में आ गई थी। शेष मूर्तियां भी उसी वर्ष पूजन सामग्री के साथ हल्द्वानी जैन मंदिर को दे दी गई थी। उसके बाद मंदिर में भगवान की कोई मूर्ति नहीं बची। इसलिए अब प्रशासन और सरकार को इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसे अपने अधीन ले लेना चाहिए। इसके लिए हम सभी जैन समाज के लोग लिखित में सहमति पत्र देने को तैयार हैं। वहीं रतनपुर कलां निवासी प्रमोद सिंह का कहना है कि यह मंदिर करीब चार सौ साल पुराना लगता है। प्रदीप जैन ने कहा कि यह मंदिर बहुत भव्य था। इसकी भव्यता बरकरार रहनी चाहिए।