India News (इंडिया न्यूज), Myanmar Hostages Back to Lucknow: म्यांमार में फंसे उत्तर प्रदेश के 21 लोगों आखिरकार 11 मार्च को लखनऊ लाया जा चुका है। लखनऊ पुलिस इन 21 लोगों से अब पूछताछ का करने में लगी हुई है। घर वापस लौटे लोगों ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि साइबर ठग भारत से MBA, BBA कर चुके युवाओं को अपना निशाना बनाते थे।

होली 2025 पर हुई घर वापसी

बता दें कि म्यांमार में डिजिटल अरेस्ट गैंग के कैद उत्तर प्रदेश के 21 लोगों को 11 मार्च की देर शाम लखनऊ लाया गया। लखनऊ पहुंचे 21 लोगों ने भारत सरकार और पुलिस का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस होली पर सभी घर पर होंगे। पुलिस पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि वो नौकरी के बहाने म्यांमार गए थे, लेकिन साइबर ठगों के जाल में फंस गए।

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फर्जी प्रोफाइल बनाने का करते थे काम, युवाओं को बनाया जाता था निशाना

मिली जानकारी के अनुसार, म्यांमार से भारत लाए जाने वाले लोगों को IT सेक्टर में नौकरी देने के बहाने यहां बुलाया जाता था। इस काम के लिए साइबर अपराधियों की एक एजेंसी काम करती है। लखनऊ के मोहम्मद अनस, अमन सिंह और सुल्तान सलाउद्दीन ने पुलिस को बताया कि साइबर ठग भारत से एमबीए, बीबीए कर चुके युवाओं को अपना निशाना बनाते थे। अगर वे काम के दौरान सो जाते थे तो उनके बाल खींचकर मारपीट की जाती थी। वो युवाओं को 70 हजार से 1 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन का लालच देकर बैंकॉक या कभी पश्चिम बंगाल के रास्ते म्यांमार ले जाता था।

शेयर मार्केट के नाम पर करते थे बड़ी ठगी

यहां पहुंचने पर पहले उन्हें म्यांमार बॉर्डर पर एक फ्लैट में रखा जाता था। एक हॉल में 15 से 20 लोग रहते थे। लैपटॉप देकर डिजिटल अरेस्ट और शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर लोगों से ठगी करते थे। बंधकों को इंस्टाग्राम और फेसबुक पर फर्जी प्रोफाइल बनाने का काम दिया गया था। वो अमेरिकी लड़कियों की तस्वीर लगाकर लोगों को फंसाते थे। फिर व्हाट्सएप नंबर लेकर अपने अधिकारी को देते थे। इसके बाद ठग ये नंबर चीनी गिरोह के सरगना और साइबर जालसाजों को देते थे। चीनी ठग फोन नंबर का गलत इस्तेमाल कर लोगों को ठगते थे।

सड़क मार्ग से पहुंचते थे म्यांमार

बता दें कि एक पीड़िता ने पुलिस को बताया कि ठगों ने सबसे पहले सभी को बैंकॉक बुलाया। वहां से सड़क मार्ग से म्यांमार सीमा पर ले जाया गया। इसके बाद रास्ते में वाहन बदले गए। वहां पहुंचते ही उन्हें बंधक बना लिया गया। सबसे पहले दस्तावेज छीन लिए गए। इसके बाद साइबर अपराध किया गया। जो लोग नहीं मानते थे उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता था। साइबर ठग उन्हें सिर्फ 4 घंटे सोने देते थे। हम सभी लोगों से 18 घंटे काम कराया जाता था। लड़कियों की चोटी खिड़की से बांध दी जाती थी।

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पीड़िता शख्स ने आगे बताया कि अपने परिजनों से बात भी नहीं करने दी जाती थी। कुछ लोगों ने किसी तरह इसकी शिकायत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से की, जिसके बाद उन्हें मुक्त कराकर उनके देश वापस भेजने की मुहिम शुरू की गई। वहां सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि चीन और पाकिस्तान समेत कई देशों के युवक कैद थे। जांच में पता चला कि गिरोह के खिलाफ एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने में चार मामले दर्ज हैं।

भारत और म्यांमार का इतिहास 

भारत का म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर का बॉर्डर है, जो हमारे चार पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम से मिलता है। एक हिस्सा समुद्र से भी छूकर गुजरता है। नॉर्थ ईस्ट में अशांति और उपद्रव को खत्म करने के लिहाज से म्यामांर अहम है। नॉर्थ ईस्ट के कई बड़े उग्रवादी संगठन म्यांमार की जमीन का इस्तेमाल अपने हिंसक वारदातों की तैयारी के लिए करते रहे हैं। भारत ने इन देश विरोधी तत्वों से निपटने के लिए म्यांमार सेना से सहयोग मांगा।

हालांकि, म्यांमार सेना, जो खुद घरेलू जातीय विद्रोहों का मुकाबला कर रही, क्या ये दावा कर सकती है कि वो इन संगठनों के खिलाफ किसी तरह का एक्शन लेने में सक्षम है। म्यांमार सीमा पर आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पूरी तरह से बाड़ेबंदी का फैसला लिया। सरकार भारत-म्यांमार सीमा के 1,643 किलोमीटर में से अतिरिक्त 300 किलोमीटर के लिए स्मार्ट बाड़ लगाने की प्लानिंग की।