इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने 82 वर्षीय कोरोना रोगी के अस्पताल से लापता होने के मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया है,इसके लिए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को दो महीने का समय दिया है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना,जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की पीठ ने एसएलपी पर विचार करते हुए यह निर्देश जारी किया, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गायब हुए व्यक्ति को 6 मई को अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था और इसमें विफल होने पर राज्य के अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप कोर्ट को उपस्थित रहने को कहा था.
6 मई, 2022 को,यूपी सरकार और राज्य के 8 अधिकारियों से प्राप्त एसएलपी पर बेंच ने नोटिस जारी कर उच्च न्यायालय के समक्ष आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दिया था,इसमें मुकदमे के खर्चों को कवर करने और उसे सुप्रीम कोर्ट के सामने लाने लायक बनाने के लिए,प्रारंभिक राशि के रूप में प्रतिवादियों को 50,000 रुपये की राशि का भुगतान करने का भी निर्देश दिया था.
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से एएजी गरिमा प्रसाद पेश हुए उन्होंने कहा की व्यक्ति का पता नहीं लगाया जा सका है,सरकार की तरफ से हर जगह खोजा जा रहा है,किसी और के शरीर के साथ शरीर का आदान-प्रदान होने की संभावना है.
उत्तर प्रदेश ने एडवोकेट रुचिरा गोयल के माध्यम से दायर अपनी एसएलपी में तर्क दिया था की उच्च न्यायालय इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि मई 2021 में कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान,जब अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाब बढ़ गया गया था तब यह दुखद घटना हुई थी,तब स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवा देने वाले लोग बहुत तनाव में काम कर रहे थे.
इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने इस पर विचार नहीं किया कि जैसे ही राज्य के अधिकारियों को व्यक्ति के लापता होने की सूचना दी गई वैसे की उन्होंने उनके बारे में पता लगाने के लिए हर संभव और सर्वोत्तम प्रयास किए.
सरकार ने कहा की व्यक्ति के पता लगाने के लिए दो एसआईटी के गठन सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं,जिनमे विस्तृत और गहन जांच की गई,एसीएस होम द्वारा व्यक्तिगत रूप से निरंतर निगरानी की गई,व्यक्ति तो तलाशने के लिए सोशल मीडिया और कई संस्थाओ की भी मदद ली गई.
याचिकाकर्ता का यह मामला था कि उसके पिता को कोविड-19 की जांच के बाद चार मई को टीबी सप्रू अस्पताल में भर्ती कराया गया था, 6 मई को याचिकाकर्ता खुद पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद होम आइसोलेशन में था,अगले दिन अस्पताल के अधिकारियों ने सूचित किया कि उनके पिता को ऑक्सीजन के स्तर में तेज गिरावट के कारण ट्रामा सेंटर में स्थानांतरित किया जा रहा है,8 मई को अस्पताल के अधिकारियों द्वारा उन्हें सूचित किया गया कि उनके पिता लापता हैं.