India News (इंडिया न्यूज), Prayagraj: तीर्थराज प्रयागराज की पवित्र धरती न केवल सनातन धर्म की प्राचीनतम धरोहर है, बल्कि यहां स्थित मंदिर अद्वितीय पौराणिक मान्यताओं से ओत-प्रोत हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत विशिष्ट और प्राचीन मंदिर है दारागंज स्थित ऊँकार श्री आदि गणेश मंदिर। मान्यता है कि यह मंदिर सृष्टि के प्रथम गणेश रूप में पूजनीय है।
भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के पहले यज्ञ का किया था शुभारंभ
पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप ऊँकार ने गंगा तट पर श्री आदि गणेश का रूप धारण किया था। भगवान ब्रह्मा ने इन्हीं आदि गणेश की पूजा कर सृष्टि के पहले यज्ञ का शुभारंभ किया था। इसके बाद यह स्थान दशाश्वमेध घाट के नाम से विख्यात हुआ। मंदिर के पुजारी सुधांशु अग्रवाल ने बताया कि शिव महापुराण और अन्य ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। यहां गणेश जी को विध्नहर्ता और विनायक दोनों स्वरूपों में पूजा जाता है।
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16वीं सदी में राजा टोडरमल ने किया था जीर्णोद्धार
मंदिर के इतिहास के अनुसार, श्री आदि गणेश की प्रतिमा कितनी प्राचीन है, इसका सटीक विवरण उपलब्ध नहीं है। हालांकि, 1585 ईस्वी में अकबर के नवरत्न राजा टोडरमल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार और प्रतिमा की पुनर्स्थापना करवाई थी। आज भी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं और मान्यता है कि श्री आदि गणेश के दर्शन मात्र से सभी कार्य निर्विघ्न पूरे होते हैं। माघ मास की चतुर्थी को यहां विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है।महाकुंभ 2025 के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मंदिर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जो इसे और भव्य रूप देगा। श्रद्धालुओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है।