India News (इंडिया न्यूज),Gorakhpur News: प्रसिद्ध समाज सुधारक और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि करुणा का वैश्वीकरण समय की मांग है। करुणा को केवल दया या दान के रूप में नहीं लिया जा सकता। यह कोई सामान्य मानवीय गुण नहीं है, यह एक दैवीय शक्ति है। हमें जीवन में चेतना और ज्ञान की यात्रा में करुणा के महत्व को समझना होगा। चेतना बुद्धि का विकास करती है, इसलिए इस चेतना को ज्ञान तक पहुंचने के लिए करुणा अपरिहार्य है।
बता दें, कैलाश सत्यार्थी मंगलवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
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परमात्मा भी योगी की इच्छा पूरी करते हैं
सत्यार्थी ने कहा कि आज नोबेल पुरस्कार मिलने की दसवीं वर्षगांठ पर उन्हें दिल्ली में एक कार्यक्रम में शामिल होना था। उन्हें योगी आदित्यनाथ जी का निमंत्रण मिला था और प्रदूषण के कारण दिल्ली में कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। भगवान की इच्छा सर्वोपरि है और वह गोरखपुर की पावन धरती पर इस कार्यक्रम में आए। उन्होंने कहा कि भगवान भी योगी की इच्छा पूरी करते हैं।
सीएम योगी की जमकर तारीफ की
कैलाश सत्यार्थी ने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि करीब 25 साल पहले गोरखनाथ के आसपास की दुकानों में नेपाली बच्चों से काम कराए जाने की जानकारी मिलने पर वे युवा सांसद योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके दिल्ली स्थित फ्लैट पर गए थे। उनके फ्लैट में साधारण बेंच और कुर्सियां थीं। जैसे ही उन्होंने योगी जी को चुंबकीय मुस्कान के साथ बाल मजदूरी के बारे में बताया, उन्होंने तुरंत फोन करके इस समस्या को खत्म करने का आदेश दिया। श्री सत्यार्थी ने कहा कि पहली बार किसी राजनेता का यह रूप देखकर कौन दीवाना नहीं हो जाएगा।
गरीबों और पीड़ितों के चेहरों पर खुशी लाना ही काम का प्रमाण पत्र है
सीएम योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान सीएम योगी ने नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी लेते हुए उत्तर प्रदेश के रास्ते अपने राज्यों को जा रहे प्रवासियों के लिए भोजन की व्यवस्था की। इसी तरह बिहार के एक व्यक्ति ने योगी जी से बिहार दौरे के दौरान मुलाकात की और उन्हें एक लिफाफा देकर आभार व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके घर आने पर उनके भोजन की व्यवस्था की थी। सत्यार्थी ने कहा कि वास्तव में गरीबों और पीड़ितों के चेहरों पर खुशी लाना ही काम का प्रमाण पत्र है।
ज्ञान जो सबके लिए हो ऐसा विकास हो
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमें मिलकर ऐसे ज्ञान का विकास करना होगा जो सबके लिए हो। कुछ देशों तक सीमित विशिष्ट ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करने की जरूरत है। सबके द्वारा और सबके लिए ज्ञान की अवधारणा को साकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें किसी पश्चिमी विचारक से ज्ञान उधार लेने की जरूरत नहीं है। हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रेम और शांति का विश्व बनाने की क्षमता है। हमारा ज्ञान सामूहिकता, सार्वजनिकता और सार्वभौमिकता का बोध कराता है। अपने भीतर झांकने की क्षमता और समृद्धि हमारे डीएनए का हिस्सा है। सर्वे भवन्तु सुखिनः के संदेश को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
ज्ञान यज्ञ का नेतृत्व कर रहे हैं CM योगी
ज्ञान को सर्वश्रेष्ठ यज्ञ बताते हुए श्री सत्यार्थी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में ज्ञान यज्ञ का नेतृत्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं। ज्ञान यज्ञ को भव्यता का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि वे भी इस ज्ञान यज्ञ के साक्षी बने हैं। उन्होंने ऋग्वेद की एक पंक्ति का हवाला देते हुए कहा कि यज्ञ में आहुति प्रतीकात्मक रूप से दी जाती है लेकिन हमारा ज्ञान, बुद्धि, अनुभव हमारी सारी क्षमताएं समर्पित कर देते हैं।
डिजिटल इकोनॉमी बन रही है दुनिया
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि 50 साल पहले वे कहते थे कि दुनिया ज्ञान की दुनिया बनने जा रही है। आज यह दुनिया डिजिटल अर्थव्यवस्था बन रही है। अगर इसमें बच्चों को मौका नहीं मिला तो यह देश ज्ञान के सागर से वंचित रह सकता है। इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सभा भवन को देखकर ऐसा लगता है जैसे यहां बैठे युवक-युवतियों में राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ करने का जज्बा है। उन्होंने कहा कि 1932 में महंत दिग्विजयनाथ जी ने राष्ट्र के लिए आगे बढ़ने की ललक जगाई और महंत अवेद्यनाथ जी ने इसे आगे बढ़ाया, योगी आदित्यनाथ ने इससे भी आगे बढ़कर इस भूमि को महान पुण्य भूमि बना दिया है।