India News (इंडिया न्यूज़),UP Assembly News: उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के एक सदस्य के बयान का विरोध करते हुए कहा कि शिक्षामित्रों की तुलना कुत्तों से करना ठीक नहीं है। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने कहा कि सदन के अंदर शिक्षामित्रों का जो अपमान उन्होंने किया है, उसके लिए माननीय सदस्य को माफी मांगनी चाहिए। विधानसभा में बजट सत्र के छठे दिन मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सपा सदस्य राकेश कुमार वर्मा ने बेसिक शिक्षा मंत्री से पूछा था कि प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षामित्रों को वर्तमान में कितना मानदेय दिया जा रहा है और क्या सरकार बढ़ती महंगाई को देखते हुए उक्त मानदेय बढ़ाने या उन्हें शिक्षक बनाने पर विचार करेगी।

यूपी विधानसभा में BJP ने किया हंगामा

सरकार के जवाब से असंतुष्ट वर्मा ने अनुपूरक प्रश्न के दौरान अपने वक्तव्य में शिक्षामित्रों की दुर्दशा का जिक्र किया और कहा, ‘माननीय मंत्री जी के घर में कुत्तों को टहलाने वाला नौकर भी 20 हजार वेतन लेता है। मंत्री के घर में कील ठोंकने वाले को एक हजार रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है, लेकिन शिक्षा मित्रों को एक दिन में करीब साढ़े तीन सौ रुपये ही दिए जाते हैं, जो महंगाई की तुलना में बहुत कम है। संबंधित मंत्री इसका जवाब देते, इससे पहले ही वरिष्ठ मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने सदन में कहा, ‘वर्मा जी ने कहा कि हमारा कुत्ता घुमाने वाला भी 20 हजार रुपये लेता है।

क्या शिक्षा मित्रों की तुलना कुत्तों से की जाएगी?

इस बीच, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने आपत्ति जतानी शुरू कर दी। चौधरी ने सदस्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप लोग गाय पालने की बात करते थे और अब कुत्ते पालने लगे हैं। सदन में जवाब देते हुए संदीप सिंह ने कहा कि सदस्य ने शिक्षा मित्रों के संदर्भ में सवाल पूछा है और शिक्षा मित्रों की तुलना जानवरों से की है और पिछले सत्र में भी विपक्षी सदस्य ने उनकी तुलना जानवरों से की थी। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा मित्रों के प्रति सदस्य की यही भावना है। माननीय सदस्य को सदन के अंदर शिक्षक का जो अपमान किया है, उसके लिए माफी मांगनी चाहिए।’ इससे पहले मंत्री संदीप सिंह ने प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि शिक्षा मित्रों को वर्तमान में 10,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है।

3500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह किया जा रहा

मंत्री ने कहा कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए मानदेय बढ़ाने और शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने पर विचार करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है। इसका कारण बताते हुए सिंह ने कहा कि शिक्षा मित्रों का चयन ग्राम पंचायत के अधीन ग्राम शिक्षा समितियों द्वारा ‘इंटरमीडिएट’ उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से आवेदन प्राप्त कर 11 माह के लिए निश्चित मानदेय पर किया जाता है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि शिक्षा मित्र संविदा पर कार्यरत हैं, जिनका मानदेय 3500 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह किया जा रहा है।