India News Delhi (इंडिया न्यूज़), UP: मक्का एक ऐसी फसल है जिसे ‘अनाजों की रानी’ कहा जाता है। इसकी बहुउपयोगिता और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी फसल साबित हो सकती है। मक्के के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए योगी सरकार ने “त्वरित मक्का विकास योजना” शुरू की है, जिसका उद्देश्य 2027 तक मक्के के उत्पादन को दोगुना करना है। यह योजना किसानों के लिए न केवल बेहतर आय के अवसर पैदा करेगी, बल्कि मक्के की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे खाद्य सुरक्षा और औद्योगिक उपयोगों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिलेगा।

मक्के की ऐतिहासिक पहेली और किसानों के लिए लाभ

मक्के को लेकर एक प्रसिद्ध पहेली प्रचलित है, “हरी थी मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी, राजा जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी।” इस पहेली में मक्के को रानी और किसान को राजा कहा गया है। सचमुच मक्का किसान के लिए रानी के समान है, क्योंकि इसकी खेती से वह अच्छा मुनाफा कमा सकता है। इस समय, उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को मक्के के बीजों पर 15,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनुदान दे रही है, जो संकर, देशी पॉप कॉर्न, बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न जैसे विभिन्न प्रकार के मक्के की किस्मों पर लागू है। इस योजना के तहत सरकार किसानों को मक्का उत्पादन में सुधार और बढ़ोतरी के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

मक्का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में मक्के का उत्पादन 2027 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत प्रदेश में मक्के का उत्पादन 27.30 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ाने का उद्देश्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मक्के की खेती के रकबे में वृद्धि और प्रति हेक्टेयर उत्पादन में सुधार पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2023/2024 में 27.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत, किसानों को मक्का की खेती से अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए हर संभव सहायता दी जा रही है।

प्रदेश में मक्के का उत्पादन और संभावनाएं

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 8.30 लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती की जाती है, और कुल उत्पादन लगभग 21.16 लाख मीट्रिक टन है। मक्का खाद्यान्न के रूप में धान और गेहूं के बाद तीसरी प्रमुख फसल मानी जाती है। इसके उत्पादन में वृद्धि और रकबे के विस्तार के साथ, मक्के का उपयोग एथनॉल उत्पादन, पशु और कुक्कुट आहार, दवाइयों, कास्मेटिक्स, वस्त्र, कागज और शराब उद्योगों में भी किया जा रहा है, जिससे इस फसल की अहमियत और बढ़ जाती है। मक्का एक बहुउपयोगी फसल है, जिसे रबी, खरीफ और जायद तीनों मौसमों में उगाया जा सकता है। यह हर प्रकार की भूमि में उग सकता है, बशर्ते जलनिकासी की व्यवस्था सही हो। इसके साथ ही मक्का सहफसली खेती के लिए भी उपयुक्त है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। मक्का में पाए जाने वाले पोषक तत्व इसे एक बेहतरीन आहार बना देते हैं, और इसके उत्पादों की मांग भी निरंतर बढ़ रही है।

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मक्का के औद्योगिक उपयोग और भविष्य की संभावनाएं

मक्का का उपयोग न केवल खाद्य पदार्थों के रूप में होता है, बल्कि इसे औद्योगिक उपयोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है। मक्के से ग्रेन-आधारित इथेनॉल, पशु आहार, कुक्कुट आहार, औषधियाँ, कास्मेटिक्स और कागज उद्योग में भी इसका उपयोग किया जाता है। मक्के के आटे से बने उत्पादों जैसे धोकला, पॉपकॉर्न और बेबी कॉर्न का बाजार में बहुत अधिक मांग है, विशेषकर पर्यटन क्षेत्रों में। इसके साथ ही, मक्का से बने उत्पादों के निर्यात के अवसर भी बढ़ रहे हैं।

पोषक तत्वों से भरपूर अनाज

उत्तर प्रदेश में मक्के की बढ़ती मांग से प्रदेश के किसानों को आर्थिक रूप से लाभ होगा। सरकार द्वारा किसानों को उन्नत तकनीकों, बेहतर बीजों और कृषि के नए तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। मक्का की मांग में वृद्धि के साथ, सरकार ने इसके न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को भी निर्धारित किया है, जिससे किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिल सके। मक्का में कार्बोहाइड्रेट्स, शुगर, वसा, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती है। यही कारण है कि इसे अनाजों की रानी कहा जाता है। मक्का कुपोषण के खिलाफ एक प्रभावी उपाय साबित हो सकता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर है और लोगों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

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