India News (इंडिया न्यूज),UP News: मध्यप्रदेश मे बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री घोषित करने के बाद सपा के तमाम नेताओं ने चुप्पी साध ली है। बीजेपी के इस फैसले को यूपी, बिहार और हरियाणा में भी यादव मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

यादव मतदाताओं को लुभाने की रणनीति

मोहन यादव को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सपा के प्रमुख नेताओं ने सोमवार को कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूपी, बिहार व हरियाणा में यादव मतदाताओं को लुभाने की रणनीति के तहत मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी गई है।

10-12 प्रतिशत आबादी यादव

उत्तर प्रदेश में जहां 10-12 प्रतिशत आबादी यादव की हैं, वहीं बिहार में इनकी संख्या 14.26 प्रतिशत और हरियाणा में 10 प्रतिशत के आसपास है। साल 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल में गठित हुकुम सिंह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों में सबसे ज्यादा संख्या यादव जाति की है।

संपर्क नहीं हो सका

बीजेपी ने मोहन यादव को लाने का दांव देश की हिंदी पट्टी के इन्हीं जातीय समीकरणों को देखते हुए लिया है। लेकिन जब सोमवार को मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर सपा की प्रतिक्रिया के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और महासचिव शिवपाल यादव, व प्रमुख महासचिव प्रो. रामगोपाल से संपर्क करने की कोशिश की, पर किसी से भी संपर्क नहीं हो सका।

प्रदेश में कोई असर नहीं

जबकि, बसपा ने आकाश आनंद को रविवार को मायावती का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें बधाई दी थी। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी के इस फैसले का उत्तर प्रदेश में कोई असर नहीं पड़ेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव देश के बड़े नेताओं की अग्रिम पंक्ति में हैं। सपा नेतृत्व मध्य प्रदेश में भी संगठन को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहा है।

ये भी पढ़े-