India News (इंडिया न्यूज), UP News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से 13 महीने में अलग-अलग थाना क्षेत्रों में लावारिस हालत में मिले 56 शवों की पहचान पुलिस के गले की फांस बनी हुई हैं। हत्यारों का सुराग लगाना तो दूर की बात, पुलिस अब तक इन शवों की पहचान तक नहीं करा पाई है। हर बीतते दिन के साथ अज्ञात शवों के साथ न्याय की उम्मीद क्षीण होती जा रही है। शवों की पहचान कराना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। ज्यादातर शव रेल की पटरी, हाईवे से सटे खेतों या झाड़ियों में मिले हैं। अदेशा है कि यह शव दूसरे जिलों या प्रांत के हैं।

अधिकतर मामलों में शवों के चेहरे खराब कर दिए गए थे। इस कारण भी उनकी पहचान में पुलिस के सामने और भी समस्या रही है। शवों की शिनाख्त कराने व हत्यारों की गिरफ्तारी के सिर्फ कागजी जीडी में हर महीने कम से कम एक पर्चा काटकर विवेचक शव की शिनाख्त कराने में खुद के गंभीर होने का कागजी कार्रवाई होती हैं। तो वहीं, ज्ञात शवों की कहानी पुलिस की डायरी व डाक्टर के रजिस्टर के पन्नों में ही सिमट कर रह गई है। सर्वाधिक अज्ञात शव रेलवे ट्रैक से ही बरामद किए गए, जिनका सुराग आज तक नहीं लग पाया है।

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कागजी औपचारिकता के बीच सिमटी पुलिस की कार्रवाई इसको भी कहने में कोई गुरेज नहीं होगा, क्योंकि शव की शिनाख्त हो या नहीं, लेकिन अगर पोस्टमार्टम के दौरान 59 में से सिर्फ तीन शवों की पहचान हो सकी है। हत्यारों को पकड़ना दूर की बात है पुलिस ने मरने वाले का पता लागा पा रही है और न ही इन्हें मारने वाले का महज कागजी औपचारिकता में सिमट कर रह गई है। पुलिस की कार्रवाई इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस यह जरूर कहती है कि आस-पास के जिलों से भी पहचान के लिए मदद ली गई है, लेकिन यह कितना सार्थक है इसका अंदाजा आप इस रिपोर्ट से लगा सकते हैं।

अज्ञात शव मिलने की सूची

अज्ञात शवों में कोतवाली 20, पुरानी बस्ती 11, वाल्टरगंज एक, मुंडेरवा 4, कलवारी 1, दुबौलिया 2, कप्तानगंज 2, हरैया 2, छावनी 3, पैकोलिया 2, रुधौली 3, लालगंज 1, सोनहा 1, नगर 2 व परसरामपुर में 1 शव शामिल हैं, जिले में अज्ञात शवों के आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो 1 जनवरी से 31 जनवरी 2025 तक 397 दिनों के भीतर 59 शव ऐसे मिले, जिसमें से मात्र 3 शवों की ही पहचान हो सकी है। शेष 56 शवों में 13 महिलाओं के जिनका आज तक कोई सुराग नहीं लगा है। जबकि रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आई है तो उसे एसआर केस में दर्ज करना होता है और विवेचक को महीने में कम से कम एक या दो पन्नें काटकर यह बताना होता है कि उसने पुलिस सभी शवों की फोटोग्राफी करवाती है।

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आप को बता दें कि 1 जनवरी से 31 जनवरी तक मिले 59 अज्ञात शव हैं तो 43 शव पुरुषों के हैं, जिले में शव मिलते गए और उनका पोस्टमार्टम होता गया, जिसका संबंध हत्या, दुष्कर्म जैसे संगीन अपराधों से था, उनके संबंधियों की पुलिस को अब तक तलाश है। शिनाख्त कराने या हत्यारों को पकड़ने की दिशा में क्या कदम उठाया। इसके बाद भी जिले में सारी कार्रवाई कागजों औपचारिकता के बीच सिमटी नजर आ रही है।