India News (इंडिया न्यूज),Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में संत और यहां की व्यवस्थाएं लगातार चर्चा का विषय बनी हुई हैं। पवित्र स्नान के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु संतों से मार्गदर्शन भी ले रहे हैं। यहां सेक्टर-20 में पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती भी शंकराचार्य मार्ग पर डेरा डाले हुए हैं और लगातार श्रद्धालु उनका आशीर्वाद लेने वहां पहुंच रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं।

एक बार फिर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि अब सबको संत नहीं बल्कि एजेंट चाहिए जो उनका प्रचारक हो। उन्होंने कहा कि सभी के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे और यह ऐतिहासिक तथ्य है। यह विभाजन के बाद का भारत है।

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हिंदू राष्ट्र के मुद्दे पर क्या कहा?

एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर कहा कि अगर यह हिंदू राष्ट्र नहीं होगा तो कौन सा होगा? उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने भी स्वीकार किया है कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र का उद्देश्य सुरक्षित, स्वस्थ, सुसंस्कृत, शिक्षित, सेवाभावी समाज की स्थापना करना है। इसके साथ ही अन्य लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए हिंदुओं के अस्तित्व और आदर्शों की रक्षा करनी होगी।

इस मौके पर हिंदू सनातन बोर्ड की मांग के सवाल पर पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘जब दूसरे लोगों ने मुस्लिम बोर्ड बना दिया है तो हिंदू कह रहे हैं कि हम सनातन बोर्ड बनाएंगे।’ उन्होंने राजनीतिक दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर चार शंकराचार्य कांग्रेस, बसपा, भाजपा, सपा नहीं हैं तो समाज को पहले से ही चार शंकराचार्यों का मार्गदर्शन मिल रहा है।’ स्वामी निश्चलानंद ने पूछा कि अगर शंकराचार्य अपना काम करने लगें तो फिर दूसरे बोर्ड की क्या जरूरत है? यह तो बस नाम और शोहरत कमाने का मामला है।

‘बाबा के रूप में चाहिए एजेंट’

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, ‘जो लोग खुद शंकराचार्य नहीं हैं, उन्होंने परिषद बना ली है।’ उन्होंने कहा, ‘शंकराचार्य के रूप में पूजे जाने की चाहत है, इससे काम नहीं चलेगा। अब हमें बाबा के रूप में एजेंट चाहिए।’ स्वामी निश्चलानंद ने कहा, ”मैं एक भी ऐसे व्यक्ति का नाम नहीं लूंगा, जो कांग्रेस की सरकार के समय कांग्रेस का प्रचारक था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गया। यह फायदा उठाने का तरीका है। बाबा की आड़ में हर कोई पब्लिसिटी चाहता है।’

रिपोर्ट के मुताबिक, जब शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने मंदिरों और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के सवाल पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ”अगर सरकारी तंत्र खुद को धर्मनिरपेक्ष कहता है, तो उसे धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। त्योहार कैलेंडर के आधार पर तय होते हैं। सरकार का काम इसकी व्यवस्था करना है।’ स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि कोई भी दूसरे धर्म से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन हिंदुओं के प्रति सभी दीवाने हैं।

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