India News (इंडिया न्यूज), Kilmoori Plant Benefits: उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण पौधा किलमोड़ी है। इसे दारुहल्दी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जंगली पौधा है, जो अपने औषधीय गुणों के कारण पारंपरिक चिकित्सा में वर्षों से उपयोग किया जाता रहा है। पहाड़ों में रहने वाले लोग इसे कई घरेलू उपचारों में काम में लेते हैं, खासकर चोट, घाव और आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याओं के लिए।

किलमोड़ी के औषधीय गुण

किलमोड़ी के तना, जड़ और छाल का उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह उस पानी को पीने से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी मदद करता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। अगर शरीर में कोई घाव या चोट हो जाए तो किलमोड़ी की छाल का पेस्ट बनाकर लगाने से वह जल्दी ठीक होता है और संक्रमण से भी बचाव होता है। इसके अलावा, यह दंत रोगों के लिए भी लाभकारी है। इसकी जड़ और तना पानी में भिगोकर पीने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं।

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आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार

यह पौधा आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी कारगर माना जाता है। इसकी जड़ और तने का सेवन करने से दृष्टिदोष में सुधार होता है और आंखें स्वस्थ रहती हैं। जो लोग कम रोशनी में देखने में कठिनाई महसूस करते हैं, उनके लिए यह बेहद लाभकारी हो सकता है।

त्वचा और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद

किलमोड़ी के रस का उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे फोड़े-फुंसी के इलाज में किया जाता है। इसके अलावा, यह मानसिक शांति प्रदान करने में भी सहायक है। इसे सही मात्रा में और सही तरीके से उपयोग करना आवश्यक है, ताकि इसके फायदे अधिक से अधिक मिल सकें। इसकी औषधीय शक्ति के कारण किलमोड़ी की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है। हालांकि, यह एक संरक्षित वनस्पति है, इसलिए इसके अंधाधुंध दोहन से पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। इस अनमोल जड़ी-बूटी का संरक्षण जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसके गुणों से लाभान्वित हो सकें।

कई बीमारियों को करेगा दूर

किलमोड़ी पहाड़ों का एक अनमोल प्राकृतिक खजाना है, जिसका सही उपयोग कई बीमारियों को दूर कर सकता है। इसका ज्ञान हर व्यक्ति को होना चाहिए ताकि लोग इसे पहचान सकें और सुरक्षित रूप से इसका लाभ उठा सकें।

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