India News (इंडिया न्यूज), Char Dham Yatra 2025: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू होने से पहले एक चिंताजनक घटना सामने आई है। जोशीमठ से 20 किलोमीटर आगे तपोवन के पास स्थित एक प्राकृतिक गर्म पानी का स्रोत अचानक सूख गया है। यह स्रोत भविष्य बद्री मंदिर के चरणों से निकलता था और धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता था। इसके सूखने से न केवल स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है, बल्कि भूविज्ञानियों के लिए भी यह शोध का विषय बन गया है। बद्रीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने भी इसे अच्छा संकेत नहीं माना है।

क्या है चिंता का कारण?

सलधार नामक स्थान पर स्थित यह गर्म पानी का स्रोत सदियों से प्रवाहित हो रहा था। इस स्थान का धार्मिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे भविष्य बद्री यात्रा से जोड़ा जाता है। बद्रीनाथ धाम की तरह ही, भविष्य बद्री के चरणों से बहने वाले इस जल को भी पवित्र माना जाता था। अचानक इसका सूख जाना कई सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय निवासी प्रकाश कपरुवाण के अनुसार, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस गर्म पानी के स्रोत पर थर्मल प्लांट लगाने और इसे होटलों तथा होमस्टे तक पाइपलाइन से पहुंचाने की योजना बनाई थी। लेकिन इससे पहले ही यह स्रोत सूख गया, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।

पर्यावरणीय असंतुलन और मानवीय हस्तक्षेप

धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि पर्यटकों द्वारा इस स्थान पर अनुशासनहीनता बरती जा रही थी। कुछ लोग यहां गर्म पानी का उपयोग अंडे उबालने जैसी गतिविधियों में कर रहे थे, जो धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है। उन्होंने इसे प्राकृतिक असंतुलन और मानवीय हस्तक्षेप का परिणाम बताया।

वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय

भूवैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह के प्राकृतिक जल स्रोतों के सूखने के पीछे कई कारण हो सकते हैं-

1. भूगर्भीय हलचल – यदि पृथ्वी की अंदरूनी संरचना में कोई बदलाव हुआ हो, तो जल स्रोतों पर प्रभाव पड़ सकता है।
2. मानवीय गतिविधियां – अधिक निर्माण कार्य, खुदाई और जल दोहन से प्राकृतिक जल स्रोत प्रभावित हो सकते हैं।
3. जलवायु परिवर्तन – ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन भी प्राकृतिक जलस्रोतों को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या यह चार धाम यात्रा के लिए अशुभ संकेत है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्राकृतिक घटनाएं देवताओं के संकेत मानी जाती हैं। बद्रीनाथ धाम में तप्त कुंड की तरह, भविष्य बद्री के चरणों से निकलने वाला यह गर्म पानी भी विशेष महत्व रखता था। इसके सूखने को लेकर लोग चिंतित हैं और इसे चार धाम यात्रा से पहले एक अशुभ संकेत मान रहे हैं। गर्म पानी के इस स्रोत का सूखना केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण घटना है। इसका गहन अध्ययन किया जाना चाहिए ताकि इसके कारणों का पता लगाया जा सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। धार्मिक स्थलों पर मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित करने और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना जरूरी है।

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