India News (इंडिया न्यूज), Lohaghat News: उत्तराखंड के लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय की दिनों दिन बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्थाओं से आहत होकर दूरस्थ सील गांव के बुजुर्ग दीवान सिंह ने सरकार से लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में सुविधाएं बढ़ाने या अस्पताल में ताला लगाने की मांग की। दीवान सिंह ने बताया कि वो बाराकोट ब्लॉक के दुरुस्त सील गांव के रहने वाले हैं। जहां आज तक मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद सड़क नहीं बन पाई है।

स्वास्थ्य सुविधा न होने से लोग परेशान

उन्होंने बताया कि गांव के ग्रामीण गर्भवती महिलाओं व बीमारों को 8 किलोमीटर पैदल चल डोली के सहारे सड़क तक लाते हैं, जिसके बाद 20 किलोमीटर लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय पहुंचाते हैं। लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में डॉक्टर न होने से गर्भवती महिलाओं व बीमारी को चंपावत जिला चिकित्सालय रेफर किया जाता है।

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कर्ज लेकर इलाज करवाने पर मजबूर लोग

उन्होंने आगे बताया कि किसी तरह गर्भवती महिलाओं को चंपावत जिला चिकित्सालय पहुंचाया जाता है और वहां से भी उन्हें प्रसव के लिए प्राइवेट अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। जहां एक प्रसव के लिए 50 से 60 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। दीवान सिंह ने बताया कि गरीबों के पास इतने पैसे न होने पर कई दिक्कते उनके सामने आती है। उन्हें कर्ज लेकर इलाज करना पड़ता है।

सरकारी नाकामी

उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गरीब तबके के लोग इलाज के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें वहां उपचार नहीं मिल पाता है। अगर सरकार लोहाघाट उप जिला चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं को प्रसव व मरीजों को उपचार सुविधा नहीं दे सकती है तो सरकार उप जिला चिकित्सालय में ताला लगा दे। आज सरकार की नाकामी के चलते अस्पताल में डॉक्टरों के अभाव के चलते लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र के मरीजों व गर्भवती महिलाओं को बाहर के अस्पतालों के धक्के खाने पड़ते हैं।

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अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है सरकार

उन्होंने आगे कहा कि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि जनता को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की। पर सरकार अपनी जिम्मेदारियां से भाग रही है। लोहाघाट क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी सोए पड़े हैं। उन्हें जनता की परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं है। सत्ता पक्ष के नेता सरकार के खिलाफ बोलने से कतराते हैं और विपक्ष सोया पड़ा है, जिसका खामियाजा क्षेत्र की गरीब जनता को भुगतना पड़ता है। मरीज बाहर के अस्पतालों के धक्के खाने के लिए मजबूर हैं। कुल मिलाकर बुजुर्ग ने बात कड़वी कही है पर सत्य कही है कि क्षेत्र की जनता भी सोई है और जनप्रतिनिधि भी।