India News (इंडिया न्यूज), UCC News: उत्तराखंड में मकान मालिकों को अपने किराएदारों के लिव-इन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का वेरिफिकेशन करवाना होगा। ऐसा न करने वाले मालिकों को 20 हजार रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ेगा। UCC के तहत उत्तराखंड सरकार ने लिव-इन में रहने वाले जोड़ों के लिए अपने रिश्ते का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया है।

किरायदार रखने से पहले करना होगा ये काम

इसी के साथ, मकान मालिकों को मकान किराए पर देने से पहले यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है और लिव-इन सर्टिफिकेट को अपने पास भी रखना होगा। UCC के नियम के मुताबिक, मकान मालिकों को लिव-इन में रह रहे या ऐसा करने का इरादा रखने वालों से सर्टिफिकेट की प्रति लेनी होगी। नियम में कहा गया है कि किराएदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले लिव-इन रिलेशनशिप के प्रमाण पत्र/अस्थायी प्रमाण पत्र की प्रति लेना मकान मालिक का कर्तव्य होगा।

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लिव-इन जोड़ों के लिए पंजीकरण शुल्क?

यह प्रमाण पत्र ऊपर क्लॉज (बी) में निर्धारित अनुसार किराये के समझौते का हिस्सा होगा। उल्लंघन करने पर रजिस्ट्रार राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचना के जरिए निर्धारित जुर्माना लगा सकता है। लिव-इन जोड़ों के लिए पंजीकरण शुल्क 500 रुपये तय किया गया है। एक महीने के भीतर पंजीकरण न कराने पर 1,000 रुपये का विलंब शुल्क लगेगा। जोड़ों को रिश्ता शुरू होने के एक महीने के भीतर प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

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प्रमाण पत्र जरूरी

अगर रिश्ता खत्म हो जाता है, तो 500 रुपये का अलग से पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। गृह सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि मकान मालिकों को विवाह प्रमाण पत्र या लिव-इन प्रमाण पत्र की एक प्रति प्राप्त करना आवश्यक है। मंगलवार को जारी राज्य सरकार की अधिसूचना में विवाह और तलाक शुल्क और वसीयत पंजीकरण का भी उल्लेख किया गया है। विवाह पंजीकरण शुल्क 250 रुपये तय किया गया है, लेकिन ‘उत्तम’ सेवा 2,500 रुपये में उपलब्ध है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि प्रमाण पत्र तीन दिनों के भीतर जारी किया जाए। विवाह का पंजीकरण न कराने या गलत जानकारी देने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।