India News (इंडिया न्यूज), Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने शहर को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार के फैसले के तहत उत्तराखंड में 300 से अधिक पुलों की भार क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार ने पुलों की लंबाई, चौड़ाई और भार वहन क्षमता को उन्नत करने का निर्णय लिया है। यह परियोजना एशियाई विकास बैंक (ADB) की मदद से क्रियान्वित की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। इस योजना के तहत राज्य की औद्योगिक और सामरिक जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, ताकि भारी मशीनरी और सेना की आवाजाही सुगम हो सके।
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बता दें कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है और यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य की सीमा नेपाल और चीन से लगती है, जिसके चलते यहां सेना की काफी आवाजाही रहती है। वर्तमान में कई पुल कम भार क्षमता के कारण भारी वाहनों और सैन्य साजो-सामान को ले जाने में बाधा का कारण बनते हैं
उत्तराखंड में बड़ी संख्या में लगेंगे उद्योग
खबरों की माने तो इन्वेस्टर्स समिट के बाद उत्तराखंड में बड़ी संख्या में उद्योग लगने की संभावना जताई जा रही है। इन उद्योगों के सुचारू संचालन के लिए भारी मशीनरी और औद्योगिक उपकरणों की आवाजाही जरूरी होगी। इस योजना के तहत पुलों को इतना मजबूत बनाया जाएगा कि वे 70 टन तक का भार सहन कर सकेंगे। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने इस परियोजना की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना का काम शुरू कर दिया है। विभाग ने 339 पुलों की सूची तैयार कर ली है, जिन्हें क्लास ‘B’ से क्लास ‘A’ श्रेणी में अपग्रेड किया जाएगा। पहले चरण में 296 पुलों पर काम शुरू किया जाएगा, जबकि 43 पुलों के अपग्रेडेशन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार किया जाएगा।
DPR की रिपोर्ट, इस प्रकार हैं-
अल्मोड़ा – 8 पुल
बागेश्वर – 10 पुल
पिथौरागढ़ – 9 पुल
चमोली – 4 पुल
देहरादून – 1 पुल
पौड़ी गढ़वाल – 15 पुल
लोनिवि सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड में अधिकांश पुल पुराने हैं और उनकी भार क्षमता सीमित है। पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकांश सिंगल लेन पुल बनाए गए थे, लेकिन अब उन्हें डेढ़ से दो लेन तक विस्तारित किया जाएगा। इससे यातायात में भी सुधार होगा और राज्य में परिवहन सुविधाएं बेहतर होंगी। इस पूरे निर्माण कार्यों पर 1610 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें से 90% राशि एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा दी जाएगी, जबकि शेष 10% राशि उत्तराखंड सरकार वहन करेगी। यह परियोजना 2025-26 तक पूरा होने की संभावना है। तकनीकी रूप से वर्ग ‘बी’ श्रेणी के पुल अधिकतम 55 टन तक का भार उठा सकते हैं, जबकि वर्ग ‘ए’ श्रेणी के पुलों की क्षमता 70 टन तक होती है। इस योजना के तहत पुलों को अधिक मजबूत बनाया जाएगा, ताकि वे भारी ट्रकों, औद्योगिक उपकरणों और सैन्य वाहनों का भार आसानी से उठा सकें।
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पुलों की भार क्षमता बढ़ाने से राज्य को होगा फायदा
उत्तराखंड में चल रही औद्योगिक नीतियों के तहत सरकार नए उद्योगों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। हाल ही में हुए इन्वेस्टर्स समिट के बाद राज्य में नए उद्योग लगने की संभावना बढ़ गई है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। ऐसे में पुलों की भार क्षमता बढ़ाने का यह फैसला राज्य के औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा देगा। भारी मशीनरी, निर्माण सामग्री और अन्य औद्योगिक उपकरणों का परिवहन आसान हो जाएगा, जिससे रसद की लागत भी कम होगी और उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील क्षेत्र है। कई पुल पुराने और कमजोर हो चुके हैं, जो आपदाओं के दौरान बड़ी समस्या बन सकते हैं। पुलों के उन्नयन से राज्य की आपदा प्रबंधन क्षमता में भी सुधार होगा।
राज्य के विकास के लिए पुलों की मरम्मत
आपको बता दें कि मजबूत पुलों से बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान रसद और राहत सामग्री पहुंचाने में मदद मिलेगी। यह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी फायदेमंद होने वाली है, क्योंकि आपातकालीन सेवाएं तेजी से पहुंचाई जा सकेंगी। स्थानीय निवासियों के लिए यात्रा सुविधाजनक और सुरक्षित होगी। उत्तराखंड भारत की सुरक्षा की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण राज्य है। यह नेपाल और चीन की सीमाओं से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण यहां सेना सक्रिय रहती है। कई बार देखा गया है कि पुलों की भार क्षमता सैन्य वाहनों को ले जाने में बाधा बन जाती है।