India News (इंडिया न्यूज), Uttarakhand Land Law: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में भूमि खरीद को लेकर नए भू-कानून का प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें दूसरे राज्यों के लोगों के लिए नियमों को और सख्त किया गया है। अब नगर निकाय सीमा से बाहर 250 वर्ग मीटर तक की भूमि खरीदने के लिए कानूनी शपथपत्र देना अनिवार्य होगा। इस शपथपत्र में खरीदार को यह प्रमाणित करना होगा कि उसके पास उत्तराखंड में पहले से कोई जमीन नहीं है। यदि शपथपत्र झूठा पाया गया, तो सरकार उस जमीन को जब्त कर लेगी।
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एक परिवार सिर्फ एक बार खरीद सकेगा जमीन
सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि कई मामलों में पाया गया कि बाहरी लोग परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम पर कई भूखंड खरीद रहे थे।नए कानून के तहत अब एक परिवार केवल एक बार ही उत्तराखंड में 250 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकेगा। इससे भूमि की अवैध खरीद-फरोख्त और अतिक्रमण पर लगाम लग सकेगी।
नए कानून के तहत, बाहरी लोगों द्वारा खरीदी गई जमीन को उनके आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक व्यक्ति या परिवार राज्य में एक से अधिक स्थानों पर भूमि न खरीद सके। आधार लिंक होने से जमीनों की खरीद-बिक्री का पूरा रिकॉर्ड सरकार के पास रहेगा, जिससे किसी भी धोखाधड़ी का तुरंत पता लगाया जा सकेगा।
निकाय सीमा में भी जमीन खरीद पर सख्ती
अब तक नगर निकाय सीमा के भीतर बाहरी लोगों को कृषि या आवासीय भूमि खरीदने की छूट थी, लेकिन नए कानून में इसे भी नियंत्रित किया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति कृषि भूमि खरीदता है, तो उसे केवल कृषि कार्य के लिए ही इस्तेमाल कर सकेगा। यदि तय भू-उपयोग से हटकर जमीन का उपयोग किया गया, तो प्रशासन उसे जब्त कर सरकार के अधीन कर देगा।
सरकार का सख्त रुख, अवैध कब्जे और भूमि घोटाले होंगे बंद
उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीद के नियमों का दुरुपयोग करने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे राज्य में भूमि संकट और अवैध अतिक्रमण की समस्या बढ़ रही थी। नए भू-कानून के लागू होने से ऐसे मामलों पर अंकुश लगेगा और राज्य की भूमि बाहरी लोगों के अनियंत्रित कब्जे से बच सकेगी। सरकार की यह सख्ती राज्य में नियंत्रित और पारदर्शी भूमि खरीद व्यवस्था को लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।