India News (इंडिया न्यूज), Uttarakhand Roadway: उत्तराखंड रोडवेज में नई बसों की खरीद को लेकर चार महीने बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के आदेश के बावजूद अब तक बस खरीद की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। अफसरों की अड़चन और नए टेंडर की तैयारी के कारण बसों की आपूर्ति लटक गई है।

क्या है पूरा मामला

पिछले साल 21 नवंबर को मुख्यमंत्री ने 100 नई बसें खरीदने और 100 अनुबंधित बसों को मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा था कि बसें तुरंत खरीदी जाएं ताकि दिल्ली रूट पर बस संचालन में कोई बाधा न आए। हालांकि, चार महीने बाद भी बसों की खरीद शुरू नहीं हो पाई है। परिवहन निगम की प्रबंध निदेशक रीना जोशी का कहना है कि नया टेंडर निकालने की तैयारी पूरी हो चुकी है। वित्त विभाग से मंजूरी मिल गई है और जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा। अब देखना यह है कि इस प्रक्रिया में बस संकट का समाधान कितनी जल्दी होता है।

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अफसरों ने डाली अड़चन

पहले योजना थी कि पूर्व के टेंडर से ही 100 बसें खरीदी जाएं। इससे उसी कीमत पर बसें मिल जातीं और समय भी बचता। लेकिन अफसरों ने इसमें अड़ंगा डालते हुए नए सिरे से टेंडर निकालने की सिफारिश की। इस प्रक्रिया में इतना समय लग गया कि अब बसों की कीमतों में वृद्धि हो गई है। बताया जा रहा है कि नए टेंडर से बसें खरीदने पर राज्य को करीब 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त नुकसान होगा।

31 मार्च के बाद दिल्ली में बसों पर संकट

दिल्ली में 31 मार्च के बाद यूरो-4 बसों का संचालन पूरी तरह बंद हो जाएगा। उत्तराखंड रोडवेज की करीब 250 यूरो-4 बसें इस रूट पर चलती हैं। इनके पहिए थमने से दिल्ली रूट पर भारी संकट खड़ा हो जाएगा। नए टेंडर और बसों की आपूर्ति में छह से आठ महीने का समय लग सकता है। इस दौरान यात्रियों को बस सेवा में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

कर्मचारियों ने किया विरोध

परिवहन निगम के कर्मचारी महासंघ ने पुराने टेंडर से ही बसें खरीदने का सुझाव दिया था। उनका कहना है कि पुराने टेंडर से बसें खरीदने पर न केवल निगम का पैसा बचेगा बल्कि बसें भी जल्दी उपलब्ध हो जाएंगी। विरोध स्वरूप *17 फरवरी को रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद* ने आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए बैठक बुलाई है।

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