एक ऐसा मुस्लिम देश जिसके ड्रोन के सामने रूस भी पड़ जाता है हल्का
अब मानवरहित लड़ाकू ड्रोन सिर्फ निगरानी और जासूसी तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि सटीक हमले करने में भी इनकी भूमिका बहुत अहम हो गई है
कभी सीमित इस्तेमाल की तकनीक माने जाने वाले ये ड्रोन अब हर देश की सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा बन गए हैं।
इन तेज, खतरनाक और स्वायत्त प्लेटफॉर्म की मांग पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
अमेरिका का एमक्यू-9 रीपर, तुर्की का बायरकटर टीबी2 या फिर चीन-रूस द्वारा विकसित किए जा रहे नए ड्रोन सभी आने वाले हवाई युद्धों की दिशा बना रहे हैं।
एमक्यू-9 रीपरअमेरिका द्वारा विकसित एमक्यू-9 रीपर दुनिया का सबसे कारगर लड़ाकू ड्रोन माना जाता है। यह लंबे समय तक उड़ सकता है और भारी हथियार ले जा सकता है।
बेयरकटर टीबी2तुर्की की बायकर डिफेंस कंपनी द्वारा विकसित बायरकटर टीबी2 आधुनिक युद्धों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला सैन्य ड्रोन बन गया है।
ताई अंकाताई अंका बायरकटर टीबी2 से कहीं ज्यादा क्षमताओं वाला ड्रोन है। यह लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है और भारी हथियार ले जाने में सक्षम है।
विंग लूंग IIचीन के चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप द्वारा निर्मित विंग लूंग II एक मध्यम ऊंचाई वाला, लंबे समय तक चलने वाला ड्रोन है।
क्रोनश्टैड ओरियनक्रोनश्टैड ओरियन रूस का पहला MALE ड्रोन है जिसे पूरी तरह से घरेलू स्तर पर विकसित किया गया है।
यह ड्रोन करीब 26 फीट लंबा है और 250 किलोग्राम तक के पेलोड में चार गाइडेड बम या मिसाइल ले जा सकता है।